धन्वंतरी आउटडोर में फिर दिखने लगा मरीजों का तांता

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जयपुर। मौसम में आ रहे बदलाव के साथ ही मौसमी बीमारियों की चपेट में आने वाले मरीजों की तादाद में एक बार फिर से इजाफा होता दिखाई दे रहा है, जिससे एसएमएस अस्पताल के धन्वंतरी आउटडोर में मरीजों का तांता एवं डाक्टरों को दिखाने के लिए विभिन्न वार्डों में मरीजों की लम्बी-लम्बी कतारें नजर आने लगी है।

वहीं स्वास्थ्य विभाग ने भी स्वाइन फ्लू की दस्तक को देखते हुए खांसी-जुकाम के मरीजों को जांच में सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं, ताकि स्वाइन फ्लू को पिछली बार की तरह आक्रामक होने से रोका जा सके।

प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में एक ओर जहां मरीजों का दबाव बढ़ रहा है, वहीं बच्चों के प्रमुख सरकारी हॉस्पिटल जेके लोन अस्पताल का भी कमोबेश यही हाल है। वहीं जयपुरिया अस्पताल में भी आउटडोर में मरीजों की लंबी कतारें लगने से मरीजों को चिकित्सक को दिखाने सहित जांचों में चार से पांच घंटे का समय लग रहा है। बड़ी जांच कराने में तो दो से तीन का समय तक लग जाता है।

गौरतलब है कि सवाई मानसिंह में पिछले तीन साल में न सिर्फ अस्पताल के धन्वंतरी ओपीडी में मरीजों की तादाद बेतहाशा बढ़ोतरी हुई, बल्कि भर्ती आईपीडी, इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का आंकड़ा भी बढ़ा है। अस्पताल में 2014 में 33 लाख 71 हजार 938 मरीज अस्पताल पहुंचे, जो कि वर्ष 2013 के मुकाबले तीन लाख 84 हजार 52 अधिक हैं।

वहीं ऑपरेशन में वर्ष 2014 में एक लाख 87 हजार 705 ऑपरेशन हुए, जो कि 2013 के मुकाबले तीस हजार 960 कम थे। शहर के जेके लोन अस्पताल में वर्ष 2012 में जहां मरीजों की संख्या तीन लाख 35 हजार 044 रही। वहीं पिछले वर्ष तीन लाख 99 हजार 831 मरीज अस्पताल पहुंचे।

बाहर की देते हैं सलाह : 

अस्पताल में जांच कराने से लेकर बड़ी जांचों तक के लिए और बेहतर रिजल्ट के लिए चिकित्सकों की ओर से मरीजों को अक्सर बाहर ही जांच कराने की सलाह दी जाती है। एसएमएस अस्पताल, जेक लोन अस्पताल, जयपुरिया अस्पताल, कावंटिया अस्पताल के आसपास इस कारण निजी जांच केन्द्रों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है।

सुबह-शाम घरों पर क्लिनिक :

एसएमएस अस्पताल में कार्यरत्त अमूमन सभी चिकित्सक सुबह-शाम मरीजों को अपने घर पर भी देखते हुए हैं, फिर भी अस्पताल में मरीजों की तादाद में कोई कमी होती नजर नहीं आ रही। इनमें कॉलोनी के अलावा अधिकांश वे मरीज भी हैं, जो एसएमएस मेडिकल कॉलेज से संबंधित अस्पतालों में जाते हैं, तो वहां पर लंबी कतार या सही उपचार नहीं मिलने पर डॉक्टर की क्लिनिक पर दिखाने आते हैं।


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