108 परिचालन में लगे आरोपों को जीवीके ने बताया बेबुनियादी
https://khabarrn1.blogspot.com/2015/08/GVK-said-uncoordinated-to-allegations-over-108-ambulance.html
जयपुर। घायलों और बीमार मरीजों को त्वरित गति से अस्पताल पहुंचाने की सेवा देने वाली एम्बुलेन्स सेवा 108 की सेवा प्रदाता कंपनी जीवीके पर लगे करोडों की हेराफेरी के आरोप के बाद सार्वजनिक निजी भागीदारी की कंपनी जीवीके ईएमआरआई ने सपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि, हमने एम्बूलेंस 108 परिचालन में पूर्ण पारदर्शिता बरती है और कभी भी किसी प्रकार की अनुचित व छल-कपट की गतिविधियों में भाग नहीं लिया है।
जीवीके ईएमआरआई के स्टेट हेड सुब्रोतो रॉय ने मीडिया को बताया कि, हमें राजस्थान में प्रतिदिन 17 हजार कॉल्स प्राप्त होती हैं और हम प्रतिदिन 1250 आपात रोगियों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी पर लगाया गया घोटाले का आरोप बिलकुल निराधार है, क्योंकि आरोप में बताया गया है की हमने 10 लाख फर्जी केस दिखाकर करीब 76 करोड रुपए का भुगतान उठाया है, जबकि वास्तविकता यह है कि जून 2013 से अपनी सेवाएं शुरू करने से लेकर अब तक हमने कुल 9 लाख 76 हजार रोगियों को अपनी सेवाएं दी है। सच्चाई तो ये है कि हम नो-प्रॉफिट कम्पनी हैं और आज भी हम करीब ढाई करोड़ रूपए के लॉस में चल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि कम्पनी से निष्कासित किए गए कर्मचारियों के एक समूह ने कल इस संगठन के बारे में बेबुनियादी बातें प्रचारित की है। यह संगठन विरोधी तत्व अपने स्वहित स्वार्थों के लिए इस संस्था को बदनाम करने के प्रयास मे हैं और इनकी टीम इस प्रकार की झूठी और आधारहीन आरोप लगाकर संगठन की छवि को धूमिल करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि ये लोग सामाजिक सरोकारों के समर्थक नहीं है। एक संगठन के रूप में हमारे सिद्धांत ही हमारी ताकत है। इस प्रकार के तत्वों द्वारा लगाए गए अनर्गल आरोपों का नकारते हुए उन्होंने कहा कि जीवीके ईएमआरआई का मुख्य उद्देश्य लोगों का जीवन बचाना हैै और वह इसे अपने कर्मचारियों द्वारा कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करती है। किसी भी विचलन की सूचना आने पर तत्काल कार्यवाही की जाती है और अनेक कर्मचारियों को अनैतिक व्यव्हार के कारण निष्काषित किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि एम्बूलेंस की लॉग बुक तथा कम्प्यूटर द्वारा प्रदर्शित रिकॉड में मानव जनित भूलों के कारण मामूली अंतर की संभावना हो सकती है। सभी लॉगबुक्स और कम्प्यूटर के रिकॉर्ड्स को राजस्थान सरकार द्वारा मासिक आधार पर सत्यापित किया जाता है और इस वेरिफिकेशन के बाद ही 20 प्रतिशत ही भुगतान जारी किया जाता है। राजस्थान सरकार के साथ हमार ठेका मई 2015 को ही समाप्त हो गया था, राजस्थान सरकार के साथ आपसी समझौते के कारण हम विस्तारित अवधि में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
गौरतलब है कि 108 आपातकालीन सेवा कर्मचारी एकता यूनियन के पदाधिकारियों ने 108 एम्बुलेन्स संचालन में 76 करोड रुपए के घोटाले के आरोप लगाते हुए दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की थी। आरोप में बताया गया कि 2013 से 108 एम्बुलेन्स सेवा का संचालन कर रही कंपनी जीवीके ईएमआरआई पर टारगेट पूरा करने के फेर में लगभग 10 लाख फर्जी केस दिखाकर करीब 76 करोड रुपए का भुगतान उठाने का आरोप लगा है।
जीवीके ईएमआरआई के स्टेट हेड सुब्रोतो रॉय ने मीडिया को बताया कि, हमें राजस्थान में प्रतिदिन 17 हजार कॉल्स प्राप्त होती हैं और हम प्रतिदिन 1250 आपात रोगियों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी पर लगाया गया घोटाले का आरोप बिलकुल निराधार है, क्योंकि आरोप में बताया गया है की हमने 10 लाख फर्जी केस दिखाकर करीब 76 करोड रुपए का भुगतान उठाया है, जबकि वास्तविकता यह है कि जून 2013 से अपनी सेवाएं शुरू करने से लेकर अब तक हमने कुल 9 लाख 76 हजार रोगियों को अपनी सेवाएं दी है। सच्चाई तो ये है कि हम नो-प्रॉफिट कम्पनी हैं और आज भी हम करीब ढाई करोड़ रूपए के लॉस में चल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि कम्पनी से निष्कासित किए गए कर्मचारियों के एक समूह ने कल इस संगठन के बारे में बेबुनियादी बातें प्रचारित की है। यह संगठन विरोधी तत्व अपने स्वहित स्वार्थों के लिए इस संस्था को बदनाम करने के प्रयास मे हैं और इनकी टीम इस प्रकार की झूठी और आधारहीन आरोप लगाकर संगठन की छवि को धूमिल करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि ये लोग सामाजिक सरोकारों के समर्थक नहीं है। एक संगठन के रूप में हमारे सिद्धांत ही हमारी ताकत है। इस प्रकार के तत्वों द्वारा लगाए गए अनर्गल आरोपों का नकारते हुए उन्होंने कहा कि जीवीके ईएमआरआई का मुख्य उद्देश्य लोगों का जीवन बचाना हैै और वह इसे अपने कर्मचारियों द्वारा कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करती है। किसी भी विचलन की सूचना आने पर तत्काल कार्यवाही की जाती है और अनेक कर्मचारियों को अनैतिक व्यव्हार के कारण निष्काषित किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि एम्बूलेंस की लॉग बुक तथा कम्प्यूटर द्वारा प्रदर्शित रिकॉड में मानव जनित भूलों के कारण मामूली अंतर की संभावना हो सकती है। सभी लॉगबुक्स और कम्प्यूटर के रिकॉर्ड्स को राजस्थान सरकार द्वारा मासिक आधार पर सत्यापित किया जाता है और इस वेरिफिकेशन के बाद ही 20 प्रतिशत ही भुगतान जारी किया जाता है। राजस्थान सरकार के साथ हमार ठेका मई 2015 को ही समाप्त हो गया था, राजस्थान सरकार के साथ आपसी समझौते के कारण हम विस्तारित अवधि में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
गौरतलब है कि 108 आपातकालीन सेवा कर्मचारी एकता यूनियन के पदाधिकारियों ने 108 एम्बुलेन्स संचालन में 76 करोड रुपए के घोटाले के आरोप लगाते हुए दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की थी। आरोप में बताया गया कि 2013 से 108 एम्बुलेन्स सेवा का संचालन कर रही कंपनी जीवीके ईएमआरआई पर टारगेट पूरा करने के फेर में लगभग 10 लाख फर्जी केस दिखाकर करीब 76 करोड रुपए का भुगतान उठाने का आरोप लगा है।