इसलिए बढ़ रहा निजी विद्यालयों में रुझान
https://khabarrn1.blogspot.com/2015/07/there-is-no-facalty-in-govt-school.html
भीनमाल। शहर के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में गत कई साल से व्याख्याताओं व शिक्षकों का टोटा बना हुआ है। व्याख्याताओं की कमी के चलते बालिकाओं का निजी विद्यालयों की ओर रुझान बढ़ रहा है। विद्यालय में व्याख्याताओं के चार पद स्वीकृत है, लेकिन महज एक ही व्याख्याता कार्यरत है। ऐसे में अध्ययनरत बालिकाओं का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है।
दरअसल, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भामाशाह लूकड़ परिवार की ओर से दो दशक पूर्व यहां बालिका विद्यालय भवन बनाया गया था। लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते यहां लम्बे समस से व्याख्याताओं की कमी बनी हुई है। वर्तमान में भी विद्यालय मेें 300 से अधिक बालिकाएं अध्ययनरत है।
हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था के लिए वैकल्पिक तौर पर शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की जाती है, लेकिन विद्यालय में स्थाई तौर पर व्याख्याता नहीं लगाने से बालिका नामांकन में कोई खास वृद्धि नहीं हो रही है। अभिभावकों ने भी कर्ई बार व्याख्याताओं के रिक्त पद भरने की मांग को लेकर जनप्रतिनिधियों व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ।
निजी की ओर अभिभावकों का रुझान
बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में कई साल से व्याख्याताओं की कमी है। ऐसे में कई अभिभावक अपनी बेटियों को निजी विद्यालयों में प्रवेश दिलवा रहे है। निजी विद्यालयों में अभिभावकों को भारी भरकम शुल्क भी चुकाना पड़ रहा है। विद्यालय प्रशासन के मुताबिक विद्यालय में कई साल से प्रधानाचार्य का पद रिक्त है। ऐसे में विद्यालय में एक व्याख्याता के पास प्रधानाचार्य का अतिरिक्त कार्यभार रहता है। इसके अलावा गृह विज्ञान का पद भी करीब दो दशक से रिक्त है। विद्यालय में हिन्दी व इतिहास के व्याख्याताओं का भी एक दशक से टोटा बना हुआ है।
"भीनमाल के बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में चार व्याख्याताओं व एक प्रधानाचार्य का पद रिक्त है। रिक्त पदों के चलते बालिकाओं को अध्ययन में परेशानी तो होती है। अभी सरकार की ओर से डीपीसी हो रही है। डीपीसी होने से रिक्त पदों पर नियुक्ति हो जाएगी"। -जयनारायण द्विवेदी, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक), जालौर।
"भीनमाल के बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में चार व्याख्याताओं व एक प्रधानाचार्य का पद रिक्त है। रिक्त पदों के चलते बालिकाओं को अध्ययन में परेशानी तो होती है। अभी सरकार की ओर से डीपीसी हो रही है। डीपीसी होने से रिक्त पदों पर नियुक्ति हो जाएगी"। -जयनारायण द्विवेदी, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक), जालौर।