वसुंधरा ने दी अमित शाह को सफाई, 35 समर्थक विधायक करेंगे दिल्ली में कैंप

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नई दिल्ली। आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी की मदद के आरोपों पर घिरीं राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के लिए आज-कल दिन अच्छे नहीं हैं। आरोपों पर कल वसुंधरा राजे ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से बात करके अपनी सफाई दी थी, लेकिन हालात को देखते हुए लगता नहीं है कि बीजेपी उस मजबूती के साथ वसुंधरा के साथ खड़ी होगी, जितनी मजबूती सुषमा स्वराज के लिए दिखी थी।

अमित शाह को सफाई देने के बाद सूत्रों के मुताबिक बीजेपी वसुंधरा से किनारा करने के मूड नजर आ रही हैं। हालांकि वसुंधरा ने हिम्मत नहीं हारी है, क्योंकि उनके समर्थक 35 विधायक वसुंधरा का पक्ष रखने दिल्ली आ रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस सुषमा और वसुंधरा दोनों से इस्तीफे की मांग कर रही है।

अमित शाह के सामने सफाई

आरोपों को लेकर वसुंधरा राजे ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को फोन कर अपना पक्ष रखा है। सूत्रों के मुताबिक वसुंधरा ने शाह के साथ ललित मोदी की ओर से किये गए दावों पर चर्चा की और पार्टी प्रमुख को बताया कि ललित मोदी से उनके पारिवारिक संबंध हैं, लेकिन उन्होंने किसी भी तरह से कुछ गलत नहीं किया है।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक वसुंधरा ने दोनों परिवारों के बीच संबंधों और ललित मोदी की पत्नी के साथ उनकी मित्रता को समझाने का प्रयास किया, लेकिन मीडिया में चल रहे दस्तावेज ‘असत्यापित और अहस्ताक्षरित’ हैं। सूत्रों के मुताबिक वसुंधरा तब से ही पार्टी के साथ सम्पर्क में हैं, जब वे दस्तावेज सामने आये थे, जिससे यह बात सामने आई कि उन्होंने एक लिखित बयान देकर घोटाला दागी ललित मोदी को ब्रिटेन में आव्रजन में मदद की थी। यद्यपि उन्होंने कहा कि मीडिया में जो दस्तावेज दिखाये जा रहे हैं, उसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

कांग्रेस ने उठाए सवाल

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने बुधवार को सुषमा पर भाई-भतीजावाद करने का आरोप लगाया। चिदंबरम ने चेन्नई में पत्रकारों से बातचीत में सरकार से यह भी पूछा कि सरकार ने मोदी को वापस लाने के लिए क्या कदम उठाए हैं। उन्होंने आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी के मामले में बतौर तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री उनके तथा ब्रिटिश राजकोष के चांसलर जॉर्ज ओस्बोर्न के बीच हुए पत्र-व्यवहार को सार्वजनिक करने की भी मांग की। चिदंबरम ने सरकार से अपील की कि वह उनके तथा ओस्बोर्न के बीच हुए पत्र व्यवहार को सार्वजनिक करे और उन्होंने पूछा कि ललित मोदी के पासपोर्ट को फिर से बहाल कर देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय न जाने का निर्णय केंद्र सरकार के किस व्यक्ति ने लिया।

"सरकार पत्र को सार्वजनिक करने में क्या शर्म?"

उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री को ललित मोदी को अस्थायी यात्रा दस्तावेज के लिए ब्रिटेन स्थित भारतीय उच्चायोग से संपर्क करने की सलाह देनी चाहिए थी, क्योंकि वह भारतीय नागरिक हैं। चिदंबरम ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि क्यों सुषमा ने एक ब्रिटिश सांसद से मोदी की पुर्तगाल यात्रा की व्यवस्था करने के बारे में बात की।  चिदंबरम ने पुरानी बातें याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपने ब्रिटिश समकक्ष ओस्बोर्न को लिखा था कि ललित मोदी के खिलाफ भारतीय कानून के तहत जांच चल रही है और ब्रिटिश सरकार को उन्हें भारत वापस भेज देना चाहिए, क्योंकि भारत सरकार ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया है।

पूर्व वित्त मंत्री के अनुसार, मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि ललित की 16 मामले में जांच चल रही है, इनमें से 15 में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। चिदंबरम ने हालांकि, इसे बीजेपी नीत केंद्र सरकार के अंतर्गत हुआ भ्रष्टाचार का मामला नहीं माना है और कहा कि यह सीधे तौरे पर पद के दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और नियमों के उल्लंघन का मामला है।

इन सात सवालों के मांगे जवाब

  1. सरकार ब्रिटिश समकक्ष के साथ उनके पत्र-व्यवहार को सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही?
  2. मोदी के पासपोर्ट वापस करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सरकार की तरफ से किसने फैसला किया?
  3. सुषमा ने मोदी को भारतीय उच्चायोग से संपर्क करने को क्यों नहीं कहा?
  4. मोदी को नए पासपोर्ट देने का फैसला क्यों नहीं किया गया?
  5. क्या भारत सरकार ने मोदी को दीर्घ अवधि का वीजा देने पर ब्रिटिश सरकार से विरोध जताया?
  6. सुषमा ने इस बात पर जोर क्यों नहीं दिया कि मोदी को यात्रा दस्तावेज के लिए भारत आना होगा?अगर
  7. भाजपा सरकार मोदी को सुरक्षा देने के काबिल नहीं है, तो फिर वह क्यों कह रहे हैं कि भारत में उनकी जान को खतरा है?

वित्त मंत्री जेटली ने कहा था यह सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसका उल्लेख करते हुए चिदंबरम ने कहा कि इसका मतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ललित मोदी के संबंध में लिए गए फैसले में जिम्मेदार हैं।

सरकार की सफाई

दूसरी ओर केंद्र सरकार ने बुधवार को एक बार फिर कहा कि सुषमा स्वराज ने न तो भ्रष्टाचार किया है और न ही कोई अनुचित काम किया है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान सुषमा और ललित मोदी विवाद पर एक प्रश्न के जवाब में कहा, "हम इस बात पर अडिग हैं, उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और अनुचित कार्यो का कोई आरोप नही है। देश की जनता को हमारे ऊपर भरोसा है।" उन्होंने कहा, "जहां तक सुषमा जी द्वारा अनुचित काम करने की बात है, मैं इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता। अरुण जेटली और राजनाथ सिंह सभी बातों का विस्तृत जवाब दे चुके हैं, यह मामला दयाभाव में हस्तक्षेप का है।"

विवाद में राजस्थान की मुख्यमंत्री का भी नाम आया है। रविशंकर ने कहा कि केंद्र सरकार इन दस्तावेजों की जांच करेगी। उन्होंने कहा, "वसुंधरा ने इस पर थोड़ी-बहुत बात की है, मैं पक्के तौर पर कह सकता हूं कि वह इस मामले का जवाब देंगी।"

कांग्रेस की राजस्थान इकाई ने बुधवार को उदयपुर में वसुंधरा के इस्तीफे की मांग करने वाला एक प्रस्ताव पारित किया। कांग्रेस प्रवक्ता अर्चना शर्मा के मुताबिक, "ललित मोदी को कथित रूप से फायदा पहुंचाने को लेकर दोनों के इस्तीफे की मांग की जा रही है।"

इधर, मंगलवार को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसको लेकर मीडिया में बयान जारी किया कि उन्हें नहीं पता कि लोग किस दस्तावेज के बारे में बात कर रहे हैं। इस बीच दिल्ली और कोलकाता में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस मामले पर विरोध प्रदर्शन किया।

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