ऑपरेशन के अगले दिन ही जमीन पर आ जाता है मरीज
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मरीजों के ऑपरेशन का काम यूरोलॉजी यूनिट के हेड डॉ. रोहित अजमेरा करते हैं। मरीजों की आम शिकायत है कि ऑपरेशन के अगले दिन ही वार्ड के बाहर खुले स्थान में जमीन परलेटा दिया जाता है। हालांकि गरीब और कमजोर मरीज पलंग की मांग करता रहता है, लेकिन चिकित्साकर्मी जबरन मरीज को पलंग से उतारकर बाहर खुले में लेटा देते हंै। यह मरीज की मजबूरी होती है कि उसे जमीन पर लेटना ही पड़ता है। गंभीर बाततो यह है कि जमीन पर सोने के लिए अस्पताल की ओर से कोई गद्दा अथवा चद्दर भी नहीं दी जाती है। मरीज या तो अपनी दरी पर लेटता है या फिर बिना दरी-चद्दर के फर्श पर ही लेट जाता है। ऐसा नहीं कि मरीज को कभी कभार ही जमीन पर लेटाया जाता है।
वार्ड के बाहर खुले में रोजाना मरीज लेटे हुए देखे जा सकते हैं। 16 अप्रैल को भी निकटवर्ती बवायचा के गोविन्द सिंह और किशनगढ़ के लक्ष्मण सिंह को जमीन पर लेटा हुआ देखा गया। इन दोनों मरीजों ने बताया कि मूत्र रोग से जुड़ी बीमारी का ऑपरेशन 15 अप्रैल को ही हुआ था, लेकिन आज सुबह वार्ड के चिकित्साकर्मियों ने बाहर जमीन पर लेटा दिया है।
गोविन्द और लक्ष्मण का कहना था कि 15 अप्रैल को ऑपरेशन तो और भी मरीजों के हुए थे, लेकिन 16 अप्रैल हम दोनों को ही जमीन पर पटका गया है। बिना पलंग और गद्दे के जमीन पर सोने से भारी तकलीफ हो रही है। सबसे बड़ी समस्या तो मूत्र वाली थैली की है। पलंग पर सोने के समय तो थैली को पलंग पर ही लटका दिया गया था, लेकिन अब तो इस थैली को जमीन पर ही रखना पड़ रहा है।
चूंकि यह थैली शरीर से बंधी है इसलिए बहुत तकलीफदेह है। ऑपरेशन के अगले ही दिन जमीन पर लेटाने की शिकायत वार्ड के सबसे बड़े चिकित्सक रोहित अजमेरा से भी की गई, लेकिन अभी तक भी कोई राहत नहीं मिली है। जमीन पर ही लेटे निकटवर्ती साली गांव के छोटू जाट ने बताया कि वह पिछले दस दिनों से अस्पताल में भर्ती है। उसे लगातार मूत्र आने की बीमारी है। चिकित्सकों ने उसके शरीर के साथ थैली तो बांध दी है, लेकिन अभी तक यह पता नहीं है कि उसका ऑपरेशन कब होगा। उसे कभी पलंग पर तो कभी जमीन पर सुला दिया जाता है।
इनका कहना है :
"यूरोलॉजी वार्ड में पलंग की कमी है और मरीजों की संख्या अधिक है। 15 और 16 अप्रैल को ऑपरेशन ज्यादा हुए है इसलिए कुछ मरीजों को वार्ड के बाहर जमीन पर लेटाया गया है। पलंग की संख्या बढ़ाने के लिए अस्पताल के प्रबंधन से आग्रह किया गया है।"-डॉ. रोहित अजमेरा, यूनिट हेड, यूरोलॉजी।
सरकार प्रति पलंग के हिसाब से खर्चा और सुविधा देती है। कायदे से पलंग की संख्या के अनुरूप मरीजों के ऑपरेशन निर्धारित किए जाते हैं। अस्पताल के अन्य विभागों में भी पलंग की कमी है, लेकिन पलंग की संख्या को ध्यान में रखकर ही ऑपरेशन किए जाते हैं। ऑपरेशन वाले मरीजों को जमीन पर लेटाना उचित नहीं है। यूरोलॉजी वार्ड में पलंग की समस्या को शीघ्र दूर किया जाएगा।
-डॉ. पी.सी. वर्मा, अधीक्षक, जेएलएन अस्पताल