42 साल तक कोमा में रहने के बाद, रेप की शिकार अरूणा का निधन

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मुंबई। मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) हॉस्पिटल में भर्ती यौन उत्पीडन की शिकार नर्स अरुणा शानबाग का सोमवार सुबह 8:30 बजे निधन हो गया। अरुणा पिछले करीब 42 साल से यहां रेप का शिकार होने के बाद से भर्ती थी एवं कोमा में रहकर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही थी, जिसने सोमवार की सुबह हार मान ली और मौत की आगोश में चली गई। अरूणा पिछले पांच दिनों से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।

केईएम अस्पताल के डीन अविनाश सुपे ने बताया था कि वह निमोनिया से पीडि़त थी। पिछले वर्ष अरुणा को सप्ताह भर आइसीयू में रखने के बाद नगर निगम संचालित केइएम अस्पताल के नवीनीकृत कमरे में स्थानांतरित किया गया था। केइएम अस्पताल परेल में स्थित है। अस्पताल का स्टाफ ही उनकी देखभाल कर रहा था।

अरुणा पर 27 नवंबर 1973 को अस्पताल के एक सफाईकर्मी ने बेरहमी से हमला किया था और दुष्कर्म किया था। उन्हें इसका गहरा सदमा पहुंचा था और वे कोमा में चली गई थी। हादसे के 27 साल बाद सन् 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने अरुणा की मित्र पिंकी बिरमानी की ओर से दायर इच्छामृत्यु याचिका को स्वीकारते हुए मेडिकल पैनल गठित करने का आदेश दिया था। हालांकि 7 मार्च 2011 को कोर्ट ने अपना फैसला बदल दिया था।

क्या है अरुणा शानबाग की दास्तां...

  • 27 नवंबर 1973 को केईएम हॉस्पिटल के वार्ड ब्वॉय सोहनलाल वाल्मिकी ने वहीं की जूनियर नर्स अरुणा शानबाग के साथ दुराचार किया था। अरुणा की आवाज को दबाने के लिए वाल्मिकी ने कुत्ते के गले में बांधी जाने वाली चेन से उसका गला जोर से लपेट दिया था। इस कारण से अरुणा के दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन की कमी हो गई थी।
  • पुलिस ने डकैती और हत्या के प्रयास की धारा के तहत केस दर्ज किया था।
  • केईएम हॉस्पिटल के तब के डीन डॉ. देशपांडे ने भी मेडिकल रिपोर्ट में अरुणा के साथ हुए अप्राकृतिक संबंध की बात को दबा दबा दिया था। ऐसा शायद इसलिए किया गया था क्योंकि कुछ ही दिनों में अरुणा की शादी होने वाली थी।
  • सोहनलाल वाल्मिकी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसे कोर्ट से डकैती और मारपीट के लिए दो लगातार सात साल की कैद की सजा मिली। उस पर न तो रेप, न ही अप्राकृतिक संबंध और ही दुराचार की धारा के तहत केस चला।
  • 1980 में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने अस्पताल में सात सालों से एक बेड पर पड़ी अरुणा को निकालने के लिए दो प्रयास किए। नर्सों के विरोध के बाद बीएमसी को अपना इरादा बदलना पड़ा।
  • अरुणा की दोस्त पिंकी बिरमानी की ओर से यूथेनेशिया (इच्छा मृत्यु) के लिए दायर याचिका पर 24 जनवरी 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था।
  • सुप्रीम कोर्ट ने अरुणा की इच्छा मृत्यु की याचिका स्वीकारते हुए मेडिकल पैनल गठित करने का आदेश दिया था। हालांकि 7 मार्च 2011 को कोर्ट ने अपना फैसला बदल दिया था।
  • अरूणा जिस हॉस्पिटल में काम करती थीं, वहीं पर वहीं के एक कर्मचारी की दरिंदगी का शिकार बनने के बाद उसी हॉस्पिटल में 42 साल तक भर्ती रहने के बाद, अरूणा ने 18 मई 2015 को उसी हॉस्पिटल में अपना दम तोड़ दिया।

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