फिल्म रिव्यु : बदलापुर बॉयज
रिलीज़ : 12 दिसम्बर बैनर : कर्म मूवीज निर्माता : सतीश पिलंगवाड़ लेखक-निर्देशक : शैलेश वर्मा कलाकार : निशान, सरन्या मोहन, पूजा गुप्...
https://khabarrn1.blogspot.com/2014/12/film-review-of-badlapur-boys.html
रिलीज़ : 12 दिसम्बर
बैनर : कर्म मूवीज
निर्माता : सतीश पिलंगवाड़
लेखक-निर्देशक : शैलेश वर्मा
कलाकार : निशान, सरन्या मोहन, पूजा गुप्ता, अन्नू कपूर, किशोरी शहाणे, बोलोराम दास, नितिन जाधव, शशांक उदयपुरकर, मज़हर खान, अंकित शर्मा और विनीत शर्मा।
संगीत : शमीर टंडन, सचिन गुप्ता और राजू सरदार। गीतकार : समीर अंजान
गायक-गायिका : सुखविंदर, शान, महालक्ष्मी अय्यर, श्रेया घोषाल, जावेद अली, ऋतू पाठक।
नृत्य निर्देशिका : सरोज खान।
कहानी : फिल्म 'बदलापुर बॉयज' की कहानी उत्तर प्रदेश एक गाँव बदलापुर की है। इस गांव में पानी की कमी है, जिससे सारे गाँव वाले परेशान हैं। गाँव की पानी की समस्या को लेकर गाँव का सरपंच अपने कुछ साथियों के साथ जिला कलक्टर के पास जाता है, कलेक्टर उनसे कहता है कि गाँव में नहर का बनना इतना आसान नहीं है। इसके लिए मुख्यमंत्री की परमिशन की जरूरत होती है।
गाँव में नहर बनने का आर्डर नही आने से दुखी गाँव का एक आदमी रामप्रवेश पासी (विनीत शर्मा ) आत्मदाह कर लेता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। रामप्रवेश पासी ने अपने गांव की बुनियादी जरूरत को पूरा करने के लिए आत्मदाह किया और अपने पीछे एक छोटा बेटा और रोती हुई पत्नी सुंदरी (किशोरी शहाणे ) छोड़ गया, फिर भी गाँव वाले उसे पागल कहते हैं। गाँव वाले जब-तब विजय को पागल का बेटा कहकर पुकारते हैं, जो उसे अच्छा नही लगता। अपने पिता की मृत्यु के बाद छोटा बच्चा विजय गाँव के मुखिया (अमन वर्मा) के यहाँ मजदूरी करने लगता है।
विजय को कबड्डी का खेल बचपन से बहुत अच्छा लगता है। ऐसे ही एक दिन जब वो मुखिया की बकरियाँ चराने जाता है, तभी उसके कानों में कबड्डी के खेल की आवाज़ 'कबड्डी-कबड्डी…' सुनाई देती है और वह सब कुछ छोड़कर कबड्डी का खेल देखने चला जाता है और पीछे से बकरियाँ सारा खेत चर जाती है, इसके बाद मुखिया उसे बहुत मारता है।
विजय (निशान) अब बड़ा हो गया है, वह हमेशा कबड्डी का खेल देखता है। गाँव में मेला लगता है और दूसरे गांव की टीम से बदलापुर की टीम का मैच होता है और हर बार की तरह इस बार भी बदलापुर की टीम हार जाती है। इस बार विजय को भी टीम में खेलने का मौका मिल जाता है। लखनऊ से आये हुए कबड्डी के कोच सूरज भान सिंह (अन्नू कपूर) की निगाह विजय के कबड्डी खेलने के तरीके पर जाती है और वो उससे बहुत ही प्रभावित होते हैं। इसी मेले में विजय की मुलाकात मेरठ से आई हुई सपना (सरन्या मोहन) से होती है और दोनों में प्यार हो जाता है। कुछ दिन गाँव में रहकर सपना वापस मेरठ चली जाती है।
बदलापुर के लोग अपने गाँव की कबड्डी टीम के सभी खिलाड़ियों पर सब बहुत हँसते हैं, क्योंकि उनकी टीम हमेशा ही हारती है। तभी गाँव की कबड्डी टीम को पता चलता है कि इलाहाबाद में कबड्डी का टूर्नामेन्ट हो रहा है अगर उनकी टीम इस टूर्नामेन्ट में जीत गई तो उन्हें मुख्यमंत्री के हाथ से 5 लाख रुपये मिलेगें। इससे सारे लोग उनकी इज्जत करेगें। सारे लड़के जैसे-तैसे करके इलाहाबाद जाते हैं और वहां स्टेडियम में पंहुचकर कबड्डी खेलने के लिये कहते हैं। लेकिन कबड्डी प्रतियोगिता के नियमों की वजह से उन्हें प्रतियोगिता में शामिल नही किया जाता, तभी समाचार आता है कि कबड्डी प्रतियोगिता में शामिल होने वाली एक टीम की बस के साथ दुर्घटना घट गई है। बस इसके बाद मौका मिल जाता है 'बदलापुर बॉयज' को खेलने का।
कोच सूरज भान उन्हें खेल के नियम बताते हैं और पहले ही मैच में उनकी टीम मुग़लसराय की टीम को हरा देती है और देखते-देखते 'बदलापुर बॉयज' की टीम सबकी पसंदीदा टीम बन जाती है और इन सबसे ऊपर विजय के कबड्डी खेलने के तरीका सभी दर्शकों का मन मोह लेता है। उनकी सादगी और खेलने के अन्दाज़ से स्पोर्ट्स फोटोग्राफर की बेटी मंजरी (पूजा गुप्ता) उससे मन ही मन प्यार करने लगती है।
कोच सूरज भान सिंह की सहायता से बदलापुर की टीम फाइनल तक पंहुच जाती है और फाइनल में उसका मुकाबला रेलवे की टीम से हो होता है। उनके गाँव तक भी उनकी कामयाबी की खबर पंहुचती है और सभी गाँव वाले, विजय की माँ, गाँव का मुखिया इलाहाबाद आते हैं। कबड्डी का मैच तो विजय किसी भी हालत में जीतना चाहता है लेकिन इसके पीछे वजह होती है, मुख्यमंत्री से मिलकर अपने गाँव की पानी की समस्या से उन्हें परिचित कराना।
सेमी फाइनल में खेलते समय विजय के चोट लगती है और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है। डॉ उसे खेलने के लिये मना करते हैं, लेकिन फिर भी विजय फाइनल में रेलवे की टीम को हराकर मुख्यमंत्री से मिलना चाहता है। फाइनल में आखिरकार 'बदलापुर बॉयज' की टीम जीत जाती है और विजय के पिता के नाम से गाँव में नहर भी बन जाती है, लेकिन जिसकी वजह से टीम जीतती है, वही नहीं होता इस दुनिया में अपनी जीत का जश्न मनाने लिये।
आखिर क्या हादसा होता है विजय के साथ, जो कि वो नही देख पाता कि अब उसके गाँव में भी पानी की कोई कमी नहीं है और अब उसके गाँव में भी चावल की भरपूर खेती लहलहा रही है। यह सब जानने के लिए इंतजार कीजिए 12 दिसंबर का, जब यह फिल्म रिलीज होकर परदे पर आएगी।
बैनर : कर्म मूवीज
निर्माता : सतीश पिलंगवाड़
लेखक-निर्देशक : शैलेश वर्मा
कलाकार : निशान, सरन्या मोहन, पूजा गुप्ता, अन्नू कपूर, किशोरी शहाणे, बोलोराम दास, नितिन जाधव, शशांक उदयपुरकर, मज़हर खान, अंकित शर्मा और विनीत शर्मा।
संगीत : शमीर टंडन, सचिन गुप्ता और राजू सरदार। गीतकार : समीर अंजान
गायक-गायिका : सुखविंदर, शान, महालक्ष्मी अय्यर, श्रेया घोषाल, जावेद अली, ऋतू पाठक।
नृत्य निर्देशिका : सरोज खान।
कहानी : फिल्म 'बदलापुर बॉयज' की कहानी उत्तर प्रदेश एक गाँव बदलापुर की है। इस गांव में पानी की कमी है, जिससे सारे गाँव वाले परेशान हैं। गाँव की पानी की समस्या को लेकर गाँव का सरपंच अपने कुछ साथियों के साथ जिला कलक्टर के पास जाता है, कलेक्टर उनसे कहता है कि गाँव में नहर का बनना इतना आसान नहीं है। इसके लिए मुख्यमंत्री की परमिशन की जरूरत होती है।
गाँव में नहर बनने का आर्डर नही आने से दुखी गाँव का एक आदमी रामप्रवेश पासी (विनीत शर्मा ) आत्मदाह कर लेता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। रामप्रवेश पासी ने अपने गांव की बुनियादी जरूरत को पूरा करने के लिए आत्मदाह किया और अपने पीछे एक छोटा बेटा और रोती हुई पत्नी सुंदरी (किशोरी शहाणे ) छोड़ गया, फिर भी गाँव वाले उसे पागल कहते हैं। गाँव वाले जब-तब विजय को पागल का बेटा कहकर पुकारते हैं, जो उसे अच्छा नही लगता। अपने पिता की मृत्यु के बाद छोटा बच्चा विजय गाँव के मुखिया (अमन वर्मा) के यहाँ मजदूरी करने लगता है।
विजय को कबड्डी का खेल बचपन से बहुत अच्छा लगता है। ऐसे ही एक दिन जब वो मुखिया की बकरियाँ चराने जाता है, तभी उसके कानों में कबड्डी के खेल की आवाज़ 'कबड्डी-कबड्डी…' सुनाई देती है और वह सब कुछ छोड़कर कबड्डी का खेल देखने चला जाता है और पीछे से बकरियाँ सारा खेत चर जाती है, इसके बाद मुखिया उसे बहुत मारता है।
विजय (निशान) अब बड़ा हो गया है, वह हमेशा कबड्डी का खेल देखता है। गाँव में मेला लगता है और दूसरे गांव की टीम से बदलापुर की टीम का मैच होता है और हर बार की तरह इस बार भी बदलापुर की टीम हार जाती है। इस बार विजय को भी टीम में खेलने का मौका मिल जाता है। लखनऊ से आये हुए कबड्डी के कोच सूरज भान सिंह (अन्नू कपूर) की निगाह विजय के कबड्डी खेलने के तरीके पर जाती है और वो उससे बहुत ही प्रभावित होते हैं। इसी मेले में विजय की मुलाकात मेरठ से आई हुई सपना (सरन्या मोहन) से होती है और दोनों में प्यार हो जाता है। कुछ दिन गाँव में रहकर सपना वापस मेरठ चली जाती है।
बदलापुर के लोग अपने गाँव की कबड्डी टीम के सभी खिलाड़ियों पर सब बहुत हँसते हैं, क्योंकि उनकी टीम हमेशा ही हारती है। तभी गाँव की कबड्डी टीम को पता चलता है कि इलाहाबाद में कबड्डी का टूर्नामेन्ट हो रहा है अगर उनकी टीम इस टूर्नामेन्ट में जीत गई तो उन्हें मुख्यमंत्री के हाथ से 5 लाख रुपये मिलेगें। इससे सारे लोग उनकी इज्जत करेगें। सारे लड़के जैसे-तैसे करके इलाहाबाद जाते हैं और वहां स्टेडियम में पंहुचकर कबड्डी खेलने के लिये कहते हैं। लेकिन कबड्डी प्रतियोगिता के नियमों की वजह से उन्हें प्रतियोगिता में शामिल नही किया जाता, तभी समाचार आता है कि कबड्डी प्रतियोगिता में शामिल होने वाली एक टीम की बस के साथ दुर्घटना घट गई है। बस इसके बाद मौका मिल जाता है 'बदलापुर बॉयज' को खेलने का।
कोच सूरज भान उन्हें खेल के नियम बताते हैं और पहले ही मैच में उनकी टीम मुग़लसराय की टीम को हरा देती है और देखते-देखते 'बदलापुर बॉयज' की टीम सबकी पसंदीदा टीम बन जाती है और इन सबसे ऊपर विजय के कबड्डी खेलने के तरीका सभी दर्शकों का मन मोह लेता है। उनकी सादगी और खेलने के अन्दाज़ से स्पोर्ट्स फोटोग्राफर की बेटी मंजरी (पूजा गुप्ता) उससे मन ही मन प्यार करने लगती है।
कोच सूरज भान सिंह की सहायता से बदलापुर की टीम फाइनल तक पंहुच जाती है और फाइनल में उसका मुकाबला रेलवे की टीम से हो होता है। उनके गाँव तक भी उनकी कामयाबी की खबर पंहुचती है और सभी गाँव वाले, विजय की माँ, गाँव का मुखिया इलाहाबाद आते हैं। कबड्डी का मैच तो विजय किसी भी हालत में जीतना चाहता है लेकिन इसके पीछे वजह होती है, मुख्यमंत्री से मिलकर अपने गाँव की पानी की समस्या से उन्हें परिचित कराना।
सेमी फाइनल में खेलते समय विजय के चोट लगती है और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है। डॉ उसे खेलने के लिये मना करते हैं, लेकिन फिर भी विजय फाइनल में रेलवे की टीम को हराकर मुख्यमंत्री से मिलना चाहता है। फाइनल में आखिरकार 'बदलापुर बॉयज' की टीम जीत जाती है और विजय के पिता के नाम से गाँव में नहर भी बन जाती है, लेकिन जिसकी वजह से टीम जीतती है, वही नहीं होता इस दुनिया में अपनी जीत का जश्न मनाने लिये।
आखिर क्या हादसा होता है विजय के साथ, जो कि वो नही देख पाता कि अब उसके गाँव में भी पानी की कोई कमी नहीं है और अब उसके गाँव में भी चावल की भरपूर खेती लहलहा रही है। यह सब जानने के लिए इंतजार कीजिए 12 दिसंबर का, जब यह फिल्म रिलीज होकर परदे पर आएगी।