सांझ ढलते ही मयखाने में तब्दील हो जाता है अस्पताल

कोटपूतली। आमतौर पर अस्पतालों में सिर्फ रोगी अपनी बिमारियों का ईलाज करवाने जाते हैं, लेकिन कस्बे के राजमार्ग पर स्थित जिला स्तरीय राजकीय ...

कोटपूतली। आमतौर पर अस्पतालों में सिर्फ रोगी अपनी बिमारियों का ईलाज करवाने जाते हैं, लेकिन कस्बे के राजमार्ग पर स्थित जिला स्तरीय राजकीय बीडीएम चिकित्सालय में मरीजों व उनके परिजनों के अलावा अक्सर असामाजिक तत्वों की आहट भी महसूस की जाती है। एक ओर जहां मरीज व उनके परिजन अस्पताल में घट रही ऐसी हरकतों से परेशान है।

वहीं रोजाना आने वाले शराबियों व असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्यवाही को लेकर राजकीय बीडीएम अस्पताल का प्रशासन भी बेबश व लाचार नजर आता है। पूर्व में भी शराबियों के जमावड़े की कई घटनायें इस अस्पताल में घट चुकी है लेकिन पुलिस के द्वारा की जाने वाली फौरी कार्यवाही के कारण शराबियों के हौंसलें बुलन्द है व शराबियों ने अस्पताल के मुख्य भवन सहित अन्य ईलाकों को अपना स्थाई निवास बना रखा है।

उल्लेखनीय है कि राजकीय बीडीएम चिकित्सालय 200 बिस्तरों वाला जिला स्तरीय अस्पताल है। जो दिल्ली जयपुर राजमार्ग पर एकमात्र सबसे बडा राजकीय अस्पताल है, जिसमें ट्रोमा सैन्टर भी शीघ्र ही शुरू होने वाला है। ऐसे में अव्यवस्थाओं का माहौल जिसमें शराबी अस्पताल के आपातकालीन कक्ष तक पहुंच जाये यह एक चिन्ता का सोचनीय विषय है।

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि देर रात्रि अस्पताल में आने वाली महिलाओं के साथ शराबी छेड़छाड़ करते है। पूर्व में भी यहां एक शराबी के द्वारा शराब पीकर एक गर्भवती महिला के प्रसव का मोबाईल विडियों बना लिया गया था। जिसको लेकर काफी विवाद हुआ था। शराबियों द्वारा अस्पताल परिसर में शराब पीने के साथ साथ जुंआ खेलने की भी हरकतें की जाती है।

मरीजों का यहां तक कहना है कि उक्त असामाजिक तत्व देर रात्रि वार्डो में घुसकर ताश खेलते है एवं विरोध करने पर छीनाझपटी व गाली गलौच की हरकतें करते है। पूर्व में भी वार्डो से रात्रि में मोबाईल चोरी समेत कई घटनायें सामने आई है। अस्पताल प्रशासन द्वारा सुरक्षा कर्मी का ठेका तो छोड़ा जाता है लेकिन सर्दी के मौसम में देर रात्रि सुरक्षा कर्मी भी रजाईयां गर्म करते नजर आते है।


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