हरियाणा-महाराष्ट्र में भी चला नरेन्द्र मोदी का जादू
चडीगढ़/मुंबई। हरियाणा की राजनीति में शानदार आगाज करते हुए भाजपा ने विधानसभा चुनाव में पहली बार अपने दम पर बहुमत हासिल कर लिया और कांग्रेस ...
https://khabarrn1.blogspot.com/2014/10/magic-of-narendra-modi-in-haryana-and-maharashtra.html
चडीगढ़/मुंबई। हरियाणा की राजनीति में शानदार आगाज करते हुए भाजपा ने विधानसभा चुनाव में पहली बार अपने दम पर बहुमत हासिल कर लिया और कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल को जबर्दस्त हार का स्वाद चखाया। वहीं महाराष्ट्र में खंडित जनादेश के बीच एक बार फिर से गठबंधन सरकार की स्थिति बन गई है जहां 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को अब तक 123 सीट पर जीत हासिल हुई है और वह दो सीट पर बढ़त बनाए हुए है।
नरेंद्र मोदी की लहर के बल पर इस बार लोकसभा चुनाव में हरियाणा में सात सीटे हासिल करने वाली भाजपा ने अब विधानसभा चुनाव में 47 सीटें हासिल की जो कि 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी संख्या से एक सीट अधिक है।
बाकी बची 43 सीटों में से कांग्रेस ने 15, इनेलो 19, हरियाणा जनहित कांग्रेस दो, शिरोमणि अकाली दल और बसपा एक-एक और निर्दलीय पांच सीटों पर विजयी रहे। 1966 में हरियाणा के गठन के बाद से यह भाजपा का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है। पार्टी ने 1987 में सबसे अधिक 16 सीटें जीती थी, जबकि 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था। पार्टी 2009 के विधानसभा चुनाव में मात्र चार सीटों पर जीत दर्ज कर पायी थी। हरियाणा में इस बार के विधानसभा चुनाव में मुकाबला बेहद रोमांचक था क्योंकि दौड़ में कई पार्टियां थीं। भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता हथिया ली जिसने जाट नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतत्व में राज्य में करीब एक दशक तक शासन किया।
उधर, महाराष्ट्र में मोदी लहर पर सवार भाजपा के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद बहुमत पाने से पीछे रह जाने और त्रिशंकु विधानसभा बनने के चलते राज्य में सरकार बनाने की संभावनाओं को तलाशने के लिये सियासी हलचल तेज हो गई है। महाराष्ट्र में भाजपा की पूर्व सहयोगी शिवसेना को 63 सीटें प्राप्त हुई हैं और वह दो सीट पर बढ़त बनाये हुए है। ऐसे में अभी से भाजपा और शिवसेना के एक बार फिर साथ आने और मिलकर सरकार बनाने की अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं।
वहीं राकांपा ने भाजपा को समर्थन की पेशकश कर दी है। सरकार बनाने के लिए किसी दल या गठबंधन के पास कम से कम 145 सीटों का होना आवश्यक है। कांग्रेस और राकांपा ने मिलकर 15 वर्षों तक महाराष्ट्र पर शासन किया, लेकिन इस चुनाव से पहले दोनों का गठबंधन टूट गया। चुनाव में कांग्रेस और राकांपा को पराजय का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने अब तक 42 सीटों पर जीत दर्ज की है और एक पर बढ़त बनाये हुए है। राकांपा ने 41 सीटें जीतीं और एक सीट पर बढत बनाये हुए है।
राज ठाकरे की मनसे का प्रदर्शन काफी खराब रहा और वह मात्र एक सीट जीत पायी। इस बीच महाराष्ट्र के आश्चर्यजनक सियासी घटनाक्रम में राकांपा ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए बाहर से समर्थन देने की पेशकश की, इसपर भाजपा ने कहा कि वह समर्थन की पेशकश पर विचार करके राज्य के हित में फैसला करेगी।
भाजपा ने साफ किया कि वह महाराष्ट्र में सरकार बनाएगी और इस बात के पर्याप्त संकेत दिये कि वह राकांपा की बाहर से समर्थन की पेशकश के खिलाफ नहीं है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने संवाददाताओं से कहा कि लोकतंत्र के नियमों के अनुसार सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का अधिकार है।
नरेंद्र मोदी की लहर के बल पर इस बार लोकसभा चुनाव में हरियाणा में सात सीटे हासिल करने वाली भाजपा ने अब विधानसभा चुनाव में 47 सीटें हासिल की जो कि 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी संख्या से एक सीट अधिक है।
बाकी बची 43 सीटों में से कांग्रेस ने 15, इनेलो 19, हरियाणा जनहित कांग्रेस दो, शिरोमणि अकाली दल और बसपा एक-एक और निर्दलीय पांच सीटों पर विजयी रहे। 1966 में हरियाणा के गठन के बाद से यह भाजपा का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है। पार्टी ने 1987 में सबसे अधिक 16 सीटें जीती थी, जबकि 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था। पार्टी 2009 के विधानसभा चुनाव में मात्र चार सीटों पर जीत दर्ज कर पायी थी। हरियाणा में इस बार के विधानसभा चुनाव में मुकाबला बेहद रोमांचक था क्योंकि दौड़ में कई पार्टियां थीं। भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता हथिया ली जिसने जाट नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतत्व में राज्य में करीब एक दशक तक शासन किया।
उधर, महाराष्ट्र में मोदी लहर पर सवार भाजपा के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद बहुमत पाने से पीछे रह जाने और त्रिशंकु विधानसभा बनने के चलते राज्य में सरकार बनाने की संभावनाओं को तलाशने के लिये सियासी हलचल तेज हो गई है। महाराष्ट्र में भाजपा की पूर्व सहयोगी शिवसेना को 63 सीटें प्राप्त हुई हैं और वह दो सीट पर बढ़त बनाये हुए है। ऐसे में अभी से भाजपा और शिवसेना के एक बार फिर साथ आने और मिलकर सरकार बनाने की अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं।
वहीं राकांपा ने भाजपा को समर्थन की पेशकश कर दी है। सरकार बनाने के लिए किसी दल या गठबंधन के पास कम से कम 145 सीटों का होना आवश्यक है। कांग्रेस और राकांपा ने मिलकर 15 वर्षों तक महाराष्ट्र पर शासन किया, लेकिन इस चुनाव से पहले दोनों का गठबंधन टूट गया। चुनाव में कांग्रेस और राकांपा को पराजय का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने अब तक 42 सीटों पर जीत दर्ज की है और एक पर बढ़त बनाये हुए है। राकांपा ने 41 सीटें जीतीं और एक सीट पर बढत बनाये हुए है।
राज ठाकरे की मनसे का प्रदर्शन काफी खराब रहा और वह मात्र एक सीट जीत पायी। इस बीच महाराष्ट्र के आश्चर्यजनक सियासी घटनाक्रम में राकांपा ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए बाहर से समर्थन देने की पेशकश की, इसपर भाजपा ने कहा कि वह समर्थन की पेशकश पर विचार करके राज्य के हित में फैसला करेगी।
भाजपा ने साफ किया कि वह महाराष्ट्र में सरकार बनाएगी और इस बात के पर्याप्त संकेत दिये कि वह राकांपा की बाहर से समर्थन की पेशकश के खिलाफ नहीं है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने संवाददाताओं से कहा कि लोकतंत्र के नियमों के अनुसार सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का अधिकार है।
