जानिए, क्यों मनाई जाती है नवरात्रि?
उदयपुर (सतीश शर्मा)। नवरात्री को मनाए जाने को लेकर दो कथाएं प्रचलित हैं। पहली कथा के अनुसार रावण की लंका युद्ध में ब्रह्माजी ने राम से राव...
इधर रावण ने मायावी तरीके से पूजास्थल पर हवन सामग्री में से एक नीलकमल गायब करा दिया, जिससे राम की पूजा बाधित हो जाए। इससे श्रीराम का संकल्प टूटता नजर आया। सभी में इस बात का भय व्याप्त हो गया कि कहीं मां दुर्गा कुपित न हो जाए, तभी राम को याद आया कि उन्हें ‘कमल-नयन नवकंज लोचन’ भी कहा जाता है, तो क्यों न एक नेत्र को वह मां की पूजा में समर्पित कर दें। श्रीराम ने जैसे ही तूणीर से अपने नेत्र को निकालना चाहा तभी मां दुर्गा प्रकट हुर्इं और कहा कि वह पूजा से प्रसन्न हुर्इं और उन्होंने विजयश्री का आशीर्वाद दिया।
दूसरी तरफ रावण की पूजा के समय हनुमान जी ब्राह्मण बालक का रूप धरकर वहां पहुंच गए और पूजा कर रहे ब्राह्मणों से एक श्लोक ..जयादेवी..भूर्तिहरिणी.. में हरिणी के स्थान पर करिणी उच्चारित करा दिया। हरिणी का अर्थ होता है भक्त की पीड़ा हरने वाली (पीड़ा को दूर करने वाली) और करिणी का अर्थ होता है पीड़ा देने वाली। इससे मां दुर्गा रावण से नाराज हो गर्इं और रावण को श्राप दे दिया, जिससे रावण का सर्वनाश हो गया।
एक अन्य कथा के अनुसार महिषासुर को उसकी उपासना से खुश होकर देवताओं ने उसे अजेय होने का वर प्रदान कर दिया था। उस वरदान को पाकर महिषासुर ने उसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया और नरक को स्वर्ग के द्वार तक विस्तारित कर दिया। महिषासुर ने सूर्य, चन्द्र, इन्द्र, अग्नि, वायु, यम, वरुण और अन्य देवतओं के भी अधिकार छीन लिए और स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। देवताओं को महिषासुर के भय से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा था। तब महिषासुर के दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने मां दुर्गा की रचना की। महिषासुर का वध करने के लिए देवताओं ने अपने सभी अस्त्र-शस्त्र मां दुर्गा को समर्पित कर दिए थे, जिससे वह बलवान हो गईं। नौ दिनों तक उनका महिषासुर से संग्राम चला था और अन्त में महिषासुर का वध करके मां दुर्गा महिषासुरमर्दिनी कहलाईं।
शारदीय नवरात्रि के रूप में मनाया जाने वाला पर्व दुर्गा-पूजा और दशहरे के रूप में मशहूर है, जबकि चैत्र में मनाया जाने वाला पर्व रामनवमी और बसंत नवमी के रूप में प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। नवमी के दिन लोग श्रीराम की झाँकियां भी निकालते हैं। दक्षिण भारत में पहले दिन विशेष पूजा होती है। आम पल्लव और नारियल से सजा हुआ कलश दरवाजे पर रखा जाता है।
नवरात्रि में हम शक्ति की देवी मां दुर्गा की उपासना करते हैं। इस दौरान कुछ भक्त नौ दिन का उपवास रखते हैं तो कुछ सिर्फ प्रथम और अन्तिम दिन व्रत-उपवास रखते हैं और इस दौरान सिर्फ फलाहार (सागाहार) का सेवन करते हैं। शेष दिन सामान्य भोजन करते हैं, लेकिन लोग मांसाहार कभी नहीं करते। प्रत्येक की अपनी-अपनी श्रद्धा और शक्ति के अनुसार ही उपासना की जाती है। अधिकतर श्रद्धालु दुर्गा-सप्तशती का पाठ करते हैं। दरअसल नवरात्रि में उपासना और उपवास का विशेष महत्व है।
अगले लेख में पढ़ें, क्या है उपवास?
सभी अपडेट के लिए हमें Facebook और Twitter पर फ़ॉलो करें