लालू यादव को पांच साल सजा, 25 लाख का जुर्माना
रांची। सीबीआई की विशेष अदालत ने चाईबासा कोषागार से फर्जी तरीके से 37.70 करोड़ रुपए निकालने के चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में आज आरजेडी ...
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रांची। सीबीआई की विशेष अदालत ने चाईबासा कोषागार से फर्जी तरीके से 37.70 करोड़ रुपए निकालने के चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में आज आरजेडी अध्यक्ष और देश के पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को 5 साल जेल की सजा सुनाई गई है इसके अलावा उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद लालू ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये विशेष सीबीआई अदालत का फैसला सुना। फैसला सुनते हुए लालू काफी नाखुश दिखे. उन्होंने सजा पर विरोध जताया। न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र और 32 अन्य अभियुक्तों की सजा पर आज सुबह ग्यारह बजे से बहस सुनी और लगभग पौने बारह बजे उन्होंने इन सभी अभियुक्तों की सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
इस मामले में फैसला सुनाये जाने की तिथि 30 सितंबर को अदालत में हाजिर नहीं हुए तीन अभियुक्त आज भी अदालत में हाजिर नहीं हुए, जिनके खिलाफ अदालत ने फिर से गिरफ्तारी वारंट जारी किया। सीबीआई के अधिवक्ता बीएमपी सिंह ने बताया कि इन तीनों के अदालत में पेश न होने के कारण उनके खिलाफ फिलहाल अदालत कोई फैसला नहीं सुनायेगी।
लालू यादव समेत तीस तारीख को इस मामले में दोषी करार दिये गये 34 अभियुक्त दोषी करार दिये जाने के बाद से न्यायिक अभिरक्षा में हैं। चौंतीस बंदियों में से 33 यहां बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं, जबकि बीमार जगन्नाथ मिश्र रिम्स में भर्ती हैं।
प्रवास कुमार सिंह की विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को इस मामले में कुल 45 लोगों को दोषी करार दिया था और तीन वर्ष की सजा पाने वाले राजनीतिज्ञों विद्यासागर निषाद, ध्रुव भगत, पूर्व आईएएस अधिकारी के मुएमुगम समेत आठ को अस्थाई जमानत देने के अलावा अन्य सभी को होतवार स्थित बिरसा मुंडा जेल भेज दिया था। बाद में तबियत खराब होने के कारण मिश्र को जेल से रिम्स अस्पताल भेज दिया गया था।
लालू प्रसाद यादव के वकील जबलपुर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने अदालत से विनती की कि लालू प्रसाद यादव को मधुमेह और उच्च रक्तचाप समेत अनेक बीमारियां हैं और रेलमंत्री के रूप में उन्होंने देश की बड़ी सेवा की है। इस आधार पर अदालत उन्हें कम से कम सजा दे और हर हाल में दो या तीन वर्ष से कम सजा दे। सिंह ने तर्क दिया कि लालू पहले ही इस मामले की 17 वषो तक चली सुनवाई के कारण एक तरह से 17 वर्ष से सजा भुगत रहे हैं, लिहाजा अब उन्हें सिर्फ छह माह की कैद की सजा देकर मुक्त कर दिया जाये।
लालू और जगन्नाथ मिश्र के वकीलों ने तर्क दिया कि यदि उन्हें लंबी कैद की सजा दी गयी, तो यह उन्हें फांसी पर लटकाने जैसा ही होगा। दूसरी ओर इस मामले में सीबीआई के वकील बीएमपी सिंह ने कहा कि लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र समेत सभी शेष अभियुक्तों को अधिकतम सजा दी जाये, क्योंकि इन सभी ने मिलकर साजिशन बिहार की जनता के राजस्व को लूटा।
रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद लालू ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये विशेष सीबीआई अदालत का फैसला सुना। फैसला सुनते हुए लालू काफी नाखुश दिखे. उन्होंने सजा पर विरोध जताया। न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र और 32 अन्य अभियुक्तों की सजा पर आज सुबह ग्यारह बजे से बहस सुनी और लगभग पौने बारह बजे उन्होंने इन सभी अभियुक्तों की सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
इस मामले में फैसला सुनाये जाने की तिथि 30 सितंबर को अदालत में हाजिर नहीं हुए तीन अभियुक्त आज भी अदालत में हाजिर नहीं हुए, जिनके खिलाफ अदालत ने फिर से गिरफ्तारी वारंट जारी किया। सीबीआई के अधिवक्ता बीएमपी सिंह ने बताया कि इन तीनों के अदालत में पेश न होने के कारण उनके खिलाफ फिलहाल अदालत कोई फैसला नहीं सुनायेगी।
लालू यादव समेत तीस तारीख को इस मामले में दोषी करार दिये गये 34 अभियुक्त दोषी करार दिये जाने के बाद से न्यायिक अभिरक्षा में हैं। चौंतीस बंदियों में से 33 यहां बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं, जबकि बीमार जगन्नाथ मिश्र रिम्स में भर्ती हैं।
प्रवास कुमार सिंह की विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को इस मामले में कुल 45 लोगों को दोषी करार दिया था और तीन वर्ष की सजा पाने वाले राजनीतिज्ञों विद्यासागर निषाद, ध्रुव भगत, पूर्व आईएएस अधिकारी के मुएमुगम समेत आठ को अस्थाई जमानत देने के अलावा अन्य सभी को होतवार स्थित बिरसा मुंडा जेल भेज दिया था। बाद में तबियत खराब होने के कारण मिश्र को जेल से रिम्स अस्पताल भेज दिया गया था।
लालू प्रसाद यादव के वकील जबलपुर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने अदालत से विनती की कि लालू प्रसाद यादव को मधुमेह और उच्च रक्तचाप समेत अनेक बीमारियां हैं और रेलमंत्री के रूप में उन्होंने देश की बड़ी सेवा की है। इस आधार पर अदालत उन्हें कम से कम सजा दे और हर हाल में दो या तीन वर्ष से कम सजा दे। सिंह ने तर्क दिया कि लालू पहले ही इस मामले की 17 वषो तक चली सुनवाई के कारण एक तरह से 17 वर्ष से सजा भुगत रहे हैं, लिहाजा अब उन्हें सिर्फ छह माह की कैद की सजा देकर मुक्त कर दिया जाये।
लालू और जगन्नाथ मिश्र के वकीलों ने तर्क दिया कि यदि उन्हें लंबी कैद की सजा दी गयी, तो यह उन्हें फांसी पर लटकाने जैसा ही होगा। दूसरी ओर इस मामले में सीबीआई के वकील बीएमपी सिंह ने कहा कि लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र समेत सभी शेष अभियुक्तों को अधिकतम सजा दी जाये, क्योंकि इन सभी ने मिलकर साजिशन बिहार की जनता के राजस्व को लूटा।