48 दिनों से नर्सिंगकर्मी जता रहे हैं विरोध, नतीजा सिफर
https://khabarrn1.blogspot.com/2016/12/Nurses-personnel-doin-protest-from-last-48-day.html
अलवर (राहुल बावलिया)। प्रदेशभर में राजकीय नर्सिंग कर्मी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले लंबे समय से गांधीवादी तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। नर्सिंग कर्मचारी कभी धरना तो कभी प्रदर्शन तथा नारेबाजी को माध्यम बनाकर अपनी मांगों के समर्थन में सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
अलवर के राजीव गांधी सामान्य चिकित्सालय तथा जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में भी कार्यरत नर्सिंग कर्मियों ने प्रदेश संगठन के निर्देश पर आंदोलन में अपना योगदान दिया। यहां तक की अलवर के नर्सिंग कर्मचारियों ने तो जिले में निर्वाचित विधायकों से मिलकर अपनी पीड़ा बयान करते हुए उन्हे ज्ञापन भी सौंपें। इन ज्ञापनों में नर्सिंग कर्मचारियों ने जनप्रतिनिधियों से भी यह आग्रह किया कि वे सरकार तक उनकी बात पहुंचाएं। इन सबके बावजूद नर्सिग कर्मचारियों की मांगों पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया।
प्रदेश मुख्यालय जयपुर में तो नर्सिंग कर्मचारी भूख हड़ताल तक पर बैठने को मजबूर हो गए। राज्य सरकार ने नर्सिग कर्मचारियों की मांगों को मानना तो दूर बल्कि उनसे इस संबंध में कोई वार्ता तक नहीं की। सरकार लंबे समय से किये जा रहे गांधीवादी आंदोलन को अनदेखा कर रही है। राज्य सरकार का यह व्यवहार नर्सिंग कर्मचारियों में अंदर ही अंदर आक्रोश को बढ़ावा दे रहा है।
अस्पताल के नर्सिंग कर्मचारियों की ड्यूटी सरकारी नौकरी के साथ-साथ काफी हद तक मानवीय सेवा से भी जुड़ी हुई है। ऐसे वर्ग की समस्या या मांग को लंबे समय तक अनदेखा करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित प्रतीत नहीं होता है। नर्सिंग कर्मचारियों की मांगें जायज है या गैर वाजिब, यह तो सरकार व नर्सिंग कर्मचारी ही बेहतर जानते हैं, लेकिन इस बारे में सरकार की मुखिया या उसके प्रतिनिधि कम से कम बातचीत करके नर्सिंग कर्मचारियों की संतुष्टि का मार्ग तो निकाल ही सकते हैं।
सरकार व उसके प्रतिनिधियों को जनहित से जुड़े मामलों में उपेक्षापूर्ण बर्ताव के बजाय गंभीरता दिखानी चाहिए। अलवर के सामान्य चिकित्साल में पिछले सप्ताह से एक घंटे प्रतिदिन कार्य बहिष्कार कर रहे नर्सेजकर्मियों ने सोमवार से दो घंटे रोजाना कार्य बहिष्कार कर आंदोलन को आगे बढ़ाया। नर्सेज के कार्य बहिष्कार से अस्पताल के कामकाज पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
नर्सेज संघर्ष समिति के राजपाल यादव ने बताया कि जयपुर में आगामी 10 दिसम्बर को सीएम हाऊस का घेराव किया जाएगा। इसके अलावा जयपुर में चल रहे धरने में 11 दिसम्बर से जिले के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। आंदोलन को और अधिक तीव्र गति दी जाएगी।
अलवर के राजीव गांधी सामान्य चिकित्सालय तथा जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में भी कार्यरत नर्सिंग कर्मियों ने प्रदेश संगठन के निर्देश पर आंदोलन में अपना योगदान दिया। यहां तक की अलवर के नर्सिंग कर्मचारियों ने तो जिले में निर्वाचित विधायकों से मिलकर अपनी पीड़ा बयान करते हुए उन्हे ज्ञापन भी सौंपें। इन ज्ञापनों में नर्सिंग कर्मचारियों ने जनप्रतिनिधियों से भी यह आग्रह किया कि वे सरकार तक उनकी बात पहुंचाएं। इन सबके बावजूद नर्सिग कर्मचारियों की मांगों पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया।
प्रदेश मुख्यालय जयपुर में तो नर्सिंग कर्मचारी भूख हड़ताल तक पर बैठने को मजबूर हो गए। राज्य सरकार ने नर्सिग कर्मचारियों की मांगों को मानना तो दूर बल्कि उनसे इस संबंध में कोई वार्ता तक नहीं की। सरकार लंबे समय से किये जा रहे गांधीवादी आंदोलन को अनदेखा कर रही है। राज्य सरकार का यह व्यवहार नर्सिंग कर्मचारियों में अंदर ही अंदर आक्रोश को बढ़ावा दे रहा है।
अस्पताल के नर्सिंग कर्मचारियों की ड्यूटी सरकारी नौकरी के साथ-साथ काफी हद तक मानवीय सेवा से भी जुड़ी हुई है। ऐसे वर्ग की समस्या या मांग को लंबे समय तक अनदेखा करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित प्रतीत नहीं होता है। नर्सिंग कर्मचारियों की मांगें जायज है या गैर वाजिब, यह तो सरकार व नर्सिंग कर्मचारी ही बेहतर जानते हैं, लेकिन इस बारे में सरकार की मुखिया या उसके प्रतिनिधि कम से कम बातचीत करके नर्सिंग कर्मचारियों की संतुष्टि का मार्ग तो निकाल ही सकते हैं।
सरकार व उसके प्रतिनिधियों को जनहित से जुड़े मामलों में उपेक्षापूर्ण बर्ताव के बजाय गंभीरता दिखानी चाहिए। अलवर के सामान्य चिकित्साल में पिछले सप्ताह से एक घंटे प्रतिदिन कार्य बहिष्कार कर रहे नर्सेजकर्मियों ने सोमवार से दो घंटे रोजाना कार्य बहिष्कार कर आंदोलन को आगे बढ़ाया। नर्सेज के कार्य बहिष्कार से अस्पताल के कामकाज पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
नर्सेज संघर्ष समिति के राजपाल यादव ने बताया कि जयपुर में आगामी 10 दिसम्बर को सीएम हाऊस का घेराव किया जाएगा। इसके अलावा जयपुर में चल रहे धरने में 11 दिसम्बर से जिले के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। आंदोलन को और अधिक तीव्र गति दी जाएगी।