मैं पार्टी का विरोध नहीं, किसानों के हित की बात कर रहा हूं : तिवाड़ी

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नागौर। दीनदयाल वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांगानेर विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि, 'मैं दावे से कह सकता हूं कि अगर चौधरी चरणसिंह नहीं होते तो जमीन का मालिक न जाट होता न राजपूत होता और न ही कोई ओर होता। अपने प्रधानमंत्रित्व के एक महिने से भी कम समय में उन्होंने किसानों को नाबार्ड दिया। अगर सरदार पटेल, दीनदयाल उपाध्याय और चौधरी चरणसिंह के चिंतन को मानते तो आज देश की दशा कुछ ओर ही होती।' लाडनूं में चौधरी चरणसिंह विचार मंच द्वारा पूर्व प्रधानमं​त्री चौधरी चरणसिंह की 114वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान तिवाड़ी ने ये बात कही।

घनश्याम तिवाड़ी ने स्पेशल इनवेस्टमेंट रीजन बिल (एसआईआर) की बात करते हुए कहा कि इस बिल के अनुसार इस कानून को लागू करने के बाद न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। एक लकीर खींचते ही पंचायत, नगर पालिका का अधिकार खत्म हो जायेगा। उन्होंने कहा कि जो जमीन चौधरी चरणसिंह ने अपने समय में बचाई थी, वह अब मुश्किल में है। भूमि अधिग्रहण कानून संशोधन के लिए विधानसभा में आया तो मैंने अकेले ने उसका विरोध किया। लोगों ने कहा कि मैं पार्टी का विरोध कर रहा हूं। तब मैंने कहा कि मैं पार्टी का विरोध नहीं कर रहा हूं, मैं किसानों के हित की बात कर रहा हूं।

तिवाड़ी ने विश्व बैंक की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हाल ही भारत विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बना, परंतु भारतीय 182वें नंबर पर हैं। इसका अर्थ साफ है कि हमारी कुल संपदा का 58 प्रतिशत देश के केवल 1 प्रतिशत लोगों के पास है। वहीं 68 प्रतिशत किसानों के पास केवल 8.5 प्रतिशत संपदा हैं। ये संपत्ति का विभाजन है, इसलिये चौधरी चरणसिंह की जयंती पर हमें आर्थिक न्याय के लिये लड़ने की प्रतिज्ञा करनी होगी।

तिवाड़ी ने कहा आर्थिक न्याय और सामाजिक समरसता की लड़ाई पिछले एक साल से लड़ रहा हूं और इस एक साल में मैंने 1 लाख किलोमीटर की यात्रा कर 25 जिलों में इन विषयों को रखा है। उन्होंने कहा कि अगर हमने आर्थिक न्याय की लड़ाई नहीं लड़ी तो जागीरदारी, जो समाप्त तो हो गई परंतु पारिवारिक सामंतवाद आयेगा और कॉरपोरेट जागीरदारी हमको लील जायेगी। इसलिये हम सबको एक साथ खड़ा होना पड़ेगा। नागौर वह धरती है, जहां से इस लड़ाई के लिये शंखनाद किया जा सकता है। तिवाड़ी ने कहा कि मैं समझता हूं कि आर्थिक न्याय, सामाजिक समरसता के लिये शंखनाद हम करेंगे तो हमारी जमीन भी बचेगी और संतत्ति का भविष्य भी बचेगा।



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