मोबाइल टावरों और ईएमएफ रेडिएशन से जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया जाना चाहिए : मनोज सिंहा

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जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी अभियान ‘डिजिटल इंडिया’ पहल को सुगम बनाने के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी अभियान के हिस्से के रूप में राजधानी जयपुर में आज संचार मंत्रालय के मार्गदर्शन में इलेक्ट्रॉमैग्नेटिक फील्ड (ईएमएफ) उत्सर्जन और मोबाइल टावरों के बारे में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में संचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनोज सिन्हा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव ओ पी मीना, दूरसंचार विभाग के सचिव जे एस दीपक, राजस्थान सरकार में उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत और राजस्थान सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी पैनल में मौजूद थे। पैनल में दूरसंचार विभाग के वरिष्ठ सदस्य, राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय के सलाहकार और चिकित्सा विश्लेषक और आईआईटी-बॉम्बे के प्रोफेसर शामिल थे। मीना ने ईएमएफ पर लोगों को जागरूक बनाए जाने के लिए इस तरह की पहलों का समर्थन किया और इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर किए जाने पर जोर दिया। 

इस पहल का मकसद आपसी तालमेल की कमी को दूर करना और नागरिकों एवं निवासियों, नगर निकायों के प्रमुखों, सरकारी अधिकारियों, निगम पार्षदों और रेजीडेंशियल वेल्फेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) के प्रमुखों जैसे विभिन्न हितधारकों को ईएमएफ के उन वैज्ञानिक साक्ष्यों और तथ्यों से अवगत कराना है, जो स्पष्ट रूप से यह साबित करते हैं कि मोबाइल टावरों से निकलने वाली नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक या खतरनाक नहीं हैं। पैनल ने ऐसे वैज्ञानिक सबूत और शोध भी पेश किए, जिनमें स्पष्ट रूप से यह पाया गया कि मोबाइल टावरों से निकलने वाले उत्सर्जन और मानव रोगों के बीच कोई संबंध नहीं है। 

संचार राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि, 'नागरिकों के संवाद और सशक्तिकरण के लिए दूरसंचार एक प्रमुख स्रोत है और यह देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भी एक प्रभावी माध्यम है। यह विभिन्न क्षेत्रों के विकास एवं आधुनिकीकरण के लिए बेहद अहम है। उन लोगों के लिए वॉइस और डेटा सेवाओं की पेशकश सिर्फ मोबाइल नेटवर्कों के जरिये ही की जा सकती है, जो भारत में सामाजिक-आर्थिक रूप से इलाकों से हैं और पिछले एक दशक में कनेक्टिविटी का विस्तार कर इस दिशा में तेज बदलाव हुआ है। देश को प्रगति की राह पर ले जाने के लिए बुनियादी ढांचे के लिए एक उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र जरूरी है और हमें इसके लिए टावरों से जुड़ी भ्रांतियों को दूर कर देश में वैज्ञानिक प्रवृत्ति को लगातार प्रोत्साहित करना चाहिए।’

दूरसंचार विभाग में दूरसंचार अयुक्त जे एस दीपक ने कहा कि ‘सरकार ने इस सेक्टर और लोगों के समक्ष पैदा हो रही चुनौतियों की पहचान की है और नागरिकों को ठोस निर्णय लेने में सक्षम बनाने पर जोर दे रही है। हम अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और मोबाइल टावरों से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के लिए दूरसंचार विभाग द्वारा निर्धारित मानक आईसीएनआईआरपी और डब्ल्यूएचओ द्वारा तय अंतर्राष्ट्रीय मानकों की तुलना में 10 गुना सख्त हैं। हम भारत को दूरसंचार सेवाएं से पूरी तरह जोड़े रखने और सषक्त बनाने के लिए लगातार मिलकर काम करना चाहते हैं और इसके लिए हमें और अधिक टावरों की आवश्यकता है।’

दूरसंचार विभाग में डीडीजी (सीएस) डाॅ. आर एम चतुर्वेदी ने कहा कि 50 से अधिक राष्ट्रीय प्राधिकरणों और 8 अंतरराष्ट्रीय संगठनों से संबद्ध डब्ल्यूएचओ-नियंत्रित ईएमएफ प्रोजेक्ट का भी हवाला दिया है। वे 1996 के बाद से लो-लेवल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड्स के संभावित खतरों के बारे में लोगों में पैदा हुई चिंताओं के लिए वैज्ञानिक रूप से मजबूत और उपयुक्त जवाब मुहैया कराने के लिए वैज्ञानिक जानकारी की समीक्षा करते रहे हैं। अब तक किए गए गहन शोध के बावजूद इसका कोई सबूत नहीं मिला है कि लो लेवल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड्स मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।

टेलीकाॅम इन्फोर्समेंट रिसोर्स एंड माॅनीटरिंग (टीईआरएम) यूनिट में सीनियर डीडीजी रामनारायण ने ईएमएफ संबंधित अनुपालन के लिए दूरसंचार विभाग द्वारा निर्धारित सख्त निगरानी और प्रवर्तन व्यवस्था के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यदि किसी बीटीएस टावर को निर्धारित ईएमएफ मानकों का उल्लंघन करते पाया जाता है तो इस स्थिति में 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि इस तरह का उल्लंघन बार बार होता है तो टावरों को हटाया भी जा सकता है।


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