दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाने वालों के मुंह पर करारा तमाचा है हाई कोर्ट का आदेश : तृप्ति देसाई
https://khabarrn1.blogspot.com/2016/08/trupti-desai-tells-a-slap-to-ban-on-entry-of-women-in-haji-ali-dargah.html
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मुंबई की प्रसिद्ध हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश को इजाजत दे दी है, जिसके तहत हाजी अली दरगाह में अब महिलाएं भी प्रवेश कर सकेंगी और मजार तक जा सकेंगी। गौरतलब है कि हाजी अली दरगाह के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर साल 2011 से प्रतिबंध लगा हुआ था, जिसे हाईकोर्ट ने आज यह कहते हुए हटा दिया कि यह प्रतिबंध किसी भी व्यक्ति के मूलभूत अधिकार का विरोधाभासी है।
इस फैसले के विरोध में हाजी अली दरगाह न्यास इस फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का मन बना रहा है। साथ ही न्यास की ओर से दायर याचिका के कारण अदालत ने अपने इस आदेश पर छह हफ्ते के लिए रोक लगा दी है।
बॉम्बे हाई कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी दरगाह के अंदर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए और महाराष्ट्र सरकार को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहिए। हालांकि अभी 6 हफ्ते तक महिलाएं मजार तक नहीं जा सकेंगी।
वहीं दूसरी ओर, बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले का भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने स्वागत किया है और उनकी ब्रिगेड की सभी सदस्य बेहद उल्लासित हैं। तृप्ति ने कहा कि हम उच्च अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। यह दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाने वाले लोगों के चेहरों पर करारा तमाचा है। महिला शक्ति के लिए यह जीत बहुत बड़ी है।
तृप्ति ने कहा कि यह फैसला हमारे लिए एक प्रकार से मील के पत्थर की तरह है। महिलाओं को जो अधिकार मिलने चाहिए और संविधान में उन्हें जो अधिकार दिए गए हैं, वह हमसे किसी तरह छीन लिए गए। यह प्रतिबंध हाजी अली दरगाह में महिलाओं के मजार क्षेत्र में प्रवेश पर लगा था। हम महिलाओं को दिए गए दोयम दर्जे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि तृप्ति के नेतृत्व में महिलाओं का यह समूह अब 28 अगस्त को हाजी अली पहुंचेगा। इस बारे में तृप्ति ने कहा कि चूंकि हाईकोर्ट ने दरगाह न्यास की याचिका के आधार पर अपने आदेश पर छह हफ्ते के लिए रोक लगा दी है, इसलिए 28 अगस्त को हम उस स्थान तक ही जाएंगे, जहां तक महिलाओं के प्रवेश पर अभी प्रतिबंध लगा हुआ है।
उधर कोर्ट के इस फैसले पर दरगाह प्रबंधन और कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है। ऑल इंडिया इमाम असोसिएशन (कुल हिन्द इमाम) के प्रेजिडेंट मौलाना साजिद रशीदी ने तो कोर्ट को शरिया कानून पढ़ने तक की सलाह दे डाली है। दरगाह ट्रस्ट इस मामले को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट जाने वाला है।
साजिद रशीदी ने कहा कि ये बहुत ही गलत फैसला दिया गया है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि कोर्ट ने शरिया कानून पढ़े बिना ही फैसला दिया है। उन्होंने कहा कि, शरिया कानून के मुताबिक औरतों के लिए कुछ हदें मुकर्रर की गई है। इसलिए इन हदों में किसी को भी दखल देने से पहले इन्हें जान लेना चाहिए।
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इस फैसले के विरोध में हाजी अली दरगाह न्यास इस फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का मन बना रहा है। साथ ही न्यास की ओर से दायर याचिका के कारण अदालत ने अपने इस आदेश पर छह हफ्ते के लिए रोक लगा दी है।
बॉम्बे हाई कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी दरगाह के अंदर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए और महाराष्ट्र सरकार को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहिए। हालांकि अभी 6 हफ्ते तक महिलाएं मजार तक नहीं जा सकेंगी।
वहीं दूसरी ओर, बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले का भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने स्वागत किया है और उनकी ब्रिगेड की सभी सदस्य बेहद उल्लासित हैं। तृप्ति ने कहा कि हम उच्च अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। यह दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाने वाले लोगों के चेहरों पर करारा तमाचा है। महिला शक्ति के लिए यह जीत बहुत बड़ी है।
तृप्ति ने कहा कि यह फैसला हमारे लिए एक प्रकार से मील के पत्थर की तरह है। महिलाओं को जो अधिकार मिलने चाहिए और संविधान में उन्हें जो अधिकार दिए गए हैं, वह हमसे किसी तरह छीन लिए गए। यह प्रतिबंध हाजी अली दरगाह में महिलाओं के मजार क्षेत्र में प्रवेश पर लगा था। हम महिलाओं को दिए गए दोयम दर्जे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि तृप्ति के नेतृत्व में महिलाओं का यह समूह अब 28 अगस्त को हाजी अली पहुंचेगा। इस बारे में तृप्ति ने कहा कि चूंकि हाईकोर्ट ने दरगाह न्यास की याचिका के आधार पर अपने आदेश पर छह हफ्ते के लिए रोक लगा दी है, इसलिए 28 अगस्त को हम उस स्थान तक ही जाएंगे, जहां तक महिलाओं के प्रवेश पर अभी प्रतिबंध लगा हुआ है।
उधर कोर्ट के इस फैसले पर दरगाह प्रबंधन और कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है। ऑल इंडिया इमाम असोसिएशन (कुल हिन्द इमाम) के प्रेजिडेंट मौलाना साजिद रशीदी ने तो कोर्ट को शरिया कानून पढ़ने तक की सलाह दे डाली है। दरगाह ट्रस्ट इस मामले को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट जाने वाला है।
साजिद रशीदी ने कहा कि ये बहुत ही गलत फैसला दिया गया है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि कोर्ट ने शरिया कानून पढ़े बिना ही फैसला दिया है। उन्होंने कहा कि, शरिया कानून के मुताबिक औरतों के लिए कुछ हदें मुकर्रर की गई है। इसलिए इन हदों में किसी को भी दखल देने से पहले इन्हें जान लेना चाहिए।
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