ऐप आधारित टैक्सी का किराया तय ​करने में गड़बड़ी की संभावना

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नई दिल्ली। मोबाइल ऐप आधारित टैक्सी सर्विस प्रोवाइडर कंप​नियों द्वारा उपभोक्ता से वसूले जाने वाले भाड़े को लेकर हाल ही में इंटरनैशनल सेंटर फॉर ऑटोमेटिक टेक्नॉलोजी (ICAT) द्वारा केे ट्रायल किया गया है। इस ट्रायल में सामने आया कि ऐप आधारित टैक्सियों से सफर करने के बाद चुकाए जाने वाले बिल में गलती की संभावना हो सकती है।

सरकारी एजेंसी आईकेट के द्वारा कराए गए ट्रायल के दौरान सामने आया है कि ऐप आधारित टैक्सियों से सफर करने के बाद चुकाए जाने वाले बिल में 5 प्रतिशत मार्जिन की गलती होने की संभावना होती है, जो या तो कम हो सकती है या फिर ज्यादा। हाल ही में एग्रीगेटर और रेडियो टैक्सी कंपनियों के साथ मीटिंग में टैक्सी ट्रायल के रिजल्ट्स को आईकेट द्वारा ऐनालाइज किया गया। इस मीटिंग में एक पैनल ने इसके रिजल्ट पर चर्चा भी की।

गौरतलब है कि आईकेट पिछले कुछ समय से ऐप बेस्ड वीइकल ट्रैकिंग सिस्टम (VTS) के लिए एक स्टैंडर्ड विकसित करने पर काम कर रहा है। इस रिजल्ट में कई तरह की खामियां नजर में आईं। उदाहरण के तौर पर अगर ट्रिप के स्टार्ट होने के दौरान ही नेटवर्क चला जाए या कुछ गलती हो जाए तो किराया तभी जुड़ना शुरू होगा, जब नेटवर्क वापस आए या फिर वह गलती ठीक हो जाए।

यही समस्या अगर ट्रिप खत्म होने पर हो जाए तो ऐप में सुरक्षित जानकारी के आधार पर बिल देना पड़ता है। किराये की गणना के लिए टैक्सी एग्रीगेटर्स द्वारा अपनाया जाने वाला तरीका बहस का विषय रहा है। हालांकि, रेडियो टैक्सी और ऑटोरिक्शा भी जीपीएस वाले मीटर का इस्तेमाल करते हैं। टैक्सी एग्रीगेटर्स बिल को जोड़ने के लिए ड्राइवर के स्मार्टफोन में लगे ऐप का उपयोग करते हैं। स्मार्टफोन का ऐप फोन के नेटवर्क पर निर्भर रहता है। ऐसे में अगर नेटवर्क कम या गायब हो जाए तो किराया कम-ज्यादा हो सकता है।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ऐप वाले टैक्सी एग्रीगेटर्स से राज्य परिवहन प्राधिकरण से मंजूर रेट पर टैक्सी मीटर से किराया वसूलने को कह रही है। सरकार का यह भी कर रही है कि इन टैक्सियों के ड्राइवरों को सभी जरूरी चीजों के साथ-साथ पब्लिक सर्विस वीकल के बैज भी दिए जाएं।


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