'आखिर क्यों पीली पड़ती जा रही है मोहब्बत की निशानी ताजमहल'

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नई दिल्ली। दुनिया के सात आश्चर्यों में शामिल आगरा स्थित विश्वविख्यात इमारत और मोहब्बत की निशानी माने जाने वाले ताजमहल के दीदार के लिए दुनियाभर के लोग आते हैं और इसकी खुबसूरती को अपनी सुनहरी यादों में संजोकर साथ ले जाते हैं। लेकिन सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनी मोहब्बत की यही निशानी अब धीरे धीरे पीली पड़ती जा रही है, जिसे लेकर एक पर्यावरण कार्यकर्ता की याचिका पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने केंद्र से जवाब तलब किया है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानि एनजीटी ने केंद्र को एक नोटिस जारी किया है और आगरा और पर्यावरण की मद्देनजर से संवेदनशील ताज के आसपास के क्षेत्र के निकट खुले में नगरपालिका के ठोस कचरे को नहीं जलाने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि आगरा में बड़े पैमाने पर नगरपालिका के ठोस कचरे को जलाए जाने से ताजमहल का रंग पीला पड़ रहा है।

एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और यूपी सरकार के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत कई एजेंसियों को नोटिस जारी कर इस मामले पर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। एनजीटी ने आगरा निवासी ग्रीन ऐक्टिविस्ट डीके जोशी की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।

याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत में बताया कि नगर निगम और अन्य निकायों द्वारा शहर के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिदिन 2000 टन ठोस कचरा डाला जाता है। कचरे में शामिल प्लास्टिक पशु खाते हैं। औद्योगिक, बायो-मेडिकल और अन्य खतरनाक कचरे को अलग किए बिना ही शहर के विभिन्न क्षेत्रों में सालों से कचरा फेंका जा रहा है। नाले और नहर सीवरलाइन में तब्दील होकर बिना किसी शोधन के यमुना में गिर रहे हैं। इसके लिए नगर निगम, आगरा विकास प्राधिकरण और छावनी परिषद जिम्मेदार हैं।

याचिका में उन्होंने आईआईटी-कानपुर, जॉर्जिया प्रौद्योगिकी संस्थान और विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय के संयुक्त अध्ययन का हवाला दिया है। इस अध्ययन के अनुसार धूल के साथ भूरे और काले कार्बन के कारण 17वीं शताब्दी का सफेद संगमरमर से बला ताजमहल पीला पड़ रहा है।

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