अब 'उड़ता पंजाब' को नए सिरे से मिलेगा प्रमाण पत्र, बॉम्बे हाईकोर्ट ने विवादों को नकारा
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मुंबई। विवादों में फंसी बॉलीवुड़ फिल्म 'उड़ता पंजाब' पर उठाए जा रहे सभी विवादों को खारिज करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिल्म में पंजाब की गलत छवि पेश किए जाने की बात को नकार दिया है। कोर्ट ने कहा कि फिल्म 'उड़ता पंजाब' में पंजाब की गलत छवि पेश किए जाने जैसी कोई बात नहीं दिखाई गई है। हालांकि कोर्ट ने फिल्म में दिखाए गए कुछ दृश्यों एवं संवादों को फिल्म में दिखाए जाने की जरूरत से इनकार भी किया है। कोर्ट ने फिल्म को एक कट के साथ रिलीज करने की अनुमति प्रदान की है।
हाईकोर्ट में आज हुई सुनवाई में फिल्म पर उठाए जा रहे विवादों को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि, हमने पूरी स्क्रिप्ट ये जानने के लिए पढ़ी कि क्या फिल्म नशे को बढ़ावा देती है या नहीं। इसके बाद हमने पाया कि फिल्म किसी शहर या राज्य के नाम, या फिर किसी संकेत के माध्यम से भारतीय संप्रभुता या अखंडता पर सवाल उठाती दिखाई नहीं देती है।"
कोर्ट ने अपना फैसले में सेंसर बोर्ड से कहा कि बोर्ड का काम फिल्मों को उनकी उपयोगिता के आधार पर प्रमाण—पत्र देना है, न कि उनमें काट-छांट करना। कोर्ट ने अगले 48 घंटों में फिल्म को नए सिरे से प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ही सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी को याद दिलाया था कि उनका काम फिल्मों को प्रमाण—पत्र देना है, न कि उनमें काट-छांट करना।
कोर्ट ने कहा कि हमें फिल्म में ऐसा कुछ नहीं नजर आया जो पंजाब की गलत छवि पेश करता हो या भारत की संप्रभुता या अखंडता को प्रभावित करता हो जैसा कि सीबीएफसी ने दावा किया है। कोर्ट ने इस फिल्म से जुड़े विवाद पर कहा कि, सीबीएफसी को कानून के हिसाब से फिल्मों को सेंसर करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि सेंसर शब्द सिनेमाटोग्राफ अधीनियम में शामिल नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि निर्माता निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म 'उड़ता पंजाब' को केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने प्रमाण—पत्र देने से पहले फिल्म के 89 दृश्यों पर कैंची चला दी थी, जिसके बाद कश्यप और उनकी फैंटम फिल्मस मामले को कोर्ट ले गए थे। फिल्म 17 जून को रिलीज होनी है।
हाईकोर्ट में आज हुई सुनवाई में फिल्म पर उठाए जा रहे विवादों को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि, हमने पूरी स्क्रिप्ट ये जानने के लिए पढ़ी कि क्या फिल्म नशे को बढ़ावा देती है या नहीं। इसके बाद हमने पाया कि फिल्म किसी शहर या राज्य के नाम, या फिर किसी संकेत के माध्यम से भारतीय संप्रभुता या अखंडता पर सवाल उठाती दिखाई नहीं देती है।"
कोर्ट ने अपना फैसले में सेंसर बोर्ड से कहा कि बोर्ड का काम फिल्मों को उनकी उपयोगिता के आधार पर प्रमाण—पत्र देना है, न कि उनमें काट-छांट करना। कोर्ट ने अगले 48 घंटों में फिल्म को नए सिरे से प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ही सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी को याद दिलाया था कि उनका काम फिल्मों को प्रमाण—पत्र देना है, न कि उनमें काट-छांट करना।
कोर्ट ने कहा कि हमें फिल्म में ऐसा कुछ नहीं नजर आया जो पंजाब की गलत छवि पेश करता हो या भारत की संप्रभुता या अखंडता को प्रभावित करता हो जैसा कि सीबीएफसी ने दावा किया है। कोर्ट ने इस फिल्म से जुड़े विवाद पर कहा कि, सीबीएफसी को कानून के हिसाब से फिल्मों को सेंसर करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि सेंसर शब्द सिनेमाटोग्राफ अधीनियम में शामिल नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि निर्माता निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म 'उड़ता पंजाब' को केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने प्रमाण—पत्र देने से पहले फिल्म के 89 दृश्यों पर कैंची चला दी थी, जिसके बाद कश्यप और उनकी फैंटम फिल्मस मामले को कोर्ट ले गए थे। फिल्म 17 जून को रिलीज होनी है।