पीएम मोदी ने किया पुण्यतिथि पर चंद्रशेखर आजाद को नमन
https://khabarrn1.blogspot.com/2016/02/pm-modi-pays-tribute-to-chandra-shekhar-azad-on-his-death-anniversary.html
नई दिल्ली। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' को आज उनकी पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नमन किया है। काकोरी ट्रेन डकैती और साण्डर्स की हत्या में सम्मिलित निर्भीक महान देशभक्त व क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अहम् स्थान रखता है।
'आजाद' को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर लिखा कि, "भारत मां के वीर सपूत, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना बलिदान दिया , ऐसे चंद्रशेखर आजाद को उनकी पुण्य तिथि पर नमन।"
आजाद की एक खासियत थी न तो वे दूसरों पर जुल्म कर सकते थे और न स्वयं जुल्म सहन कर सकते थे। 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग कांड ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था। चन्द्रशेखर उस समय पढ़ाई कर रहे थे। तभी से उनके मन में एक आग धधक रही थी। महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन खत्म किये जाने पर सैंकड़ों छात्रों के साथ चन्द्रशेखर भी सड़कों पर उतर आये। छात्र आंदोलन के वक्त वो पहली बार गिरफ्तार हुए। तब उन्हें 15 दिन की सजा मिली।
चंद्रशेखर आज़ाद ने यह प्रण लिया हुआ था कि वह कभी भी जीवित पुलिस के हाथ नहीं आएंगे। इसी प्रण को निभाते हुए एल्फ्रेड पार्क में 27 फरवरी 1931 को उन्होंने वह बची हुई गोली स्वयं पर दाग के आत्म बलिदान कर लिया।
'आजाद' को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर लिखा कि, "भारत मां के वीर सपूत, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना बलिदान दिया , ऐसे चंद्रशेखर आजाद को उनकी पुण्य तिथि पर नमन।"
आजाद का जन्म 23 जुलाई को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बदरका गांव में 1906 में हुआ था। आजाद के पिता पंडित सीताराम तिवारी 1956 में अकाल पड़ने पर गांव छोड़ कर मध्य प्रदेश चले गये थे। एमपी में ही आजाद का बचपन बीता। अंग्रेज शासित भारत में पले बढ़े आजाद की रगों में शुरू से ही अंग्रेजों के प्रति नफरत भरी हुई थी।भारत मां के वीर सपूत, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना बलिदान दिया , ऐसे चंद्रशेखर आजाद को उनकी पुण्य तिथि पर नमन— Narendra Modi (@narendramodi) February 27, 2016
आजाद की एक खासियत थी न तो वे दूसरों पर जुल्म कर सकते थे और न स्वयं जुल्म सहन कर सकते थे। 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग कांड ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था। चन्द्रशेखर उस समय पढ़ाई कर रहे थे। तभी से उनके मन में एक आग धधक रही थी। महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन खत्म किये जाने पर सैंकड़ों छात्रों के साथ चन्द्रशेखर भी सड़कों पर उतर आये। छात्र आंदोलन के वक्त वो पहली बार गिरफ्तार हुए। तब उन्हें 15 दिन की सजा मिली।
चंद्रशेखर आज़ाद ने यह प्रण लिया हुआ था कि वह कभी भी जीवित पुलिस के हाथ नहीं आएंगे। इसी प्रण को निभाते हुए एल्फ्रेड पार्क में 27 फरवरी 1931 को उन्होंने वह बची हुई गोली स्वयं पर दाग के आत्म बलिदान कर लिया।