श्राद्धपक्ष में अब कौओं का भी पड़ रहा टोटा
https://khabarrn1.blogspot.com/2015/10/having-deficit-to-fond-crows-in-shraddh.html
जयपुर। पितृों के तर्पण के लिए विशेष रूप से चलने वाले श्राद्धपक्ष में एक ओर जहां श्राद्धभोज करने वाले पंडितों का अभाव है, वहीं दूसरी ओर अब शहर में कौओं का भी टोटा पड़ रहा है। गौरतलब है कि श्राद्धपक्ष के दौरान पितृों के तर्पण के लिए निकाले जाने वाले भोग के चार भागों में एक एक भाग कौओं के लिए होता है। इसलिए शहर के कई लोग कौओं तलाशते दिखाई देने लगे हैं।
राजधानी में कौअे नहीं मिलने के कारण लोग कौओं की तलाश में गलताजी जैसे कई बाहरी इलाकों में कौअे तलाशते नजर आने लगे हैं। गौरतलब है कि श्राद्ध में ही कौओं का विशेष महत्व होता है। ऐसे में अब शहरी क्षेत्र में कौअे नहीं मिल पाने के कारण लोग उन्हें खीर खिलाने के लिए जगह-जगह भटकते हुए दिखाई देने लगे हैं।
मान्यता के अनुसार श्राद्घ में निकाले जाने वाले श्राद्धभोग में से एक भाग कौअे को अर्पित किया जाता है। इसी के चलते शहर में इन दिनों गलाताजी एवं रामनिवास बाग में कौओं को खीर-पूड़ी खिलाते नजर आ रहे हैं। मान्यता है कि कौआ अगर खीर को मुंह लगा ले तो परिवार को आपदाओं एवं संकटों से रक्षा हो पितरों की रक्षा प्राप्त होती है।
राजधानी में कौअे नहीं मिलने के कारण लोग कौओं की तलाश में गलताजी जैसे कई बाहरी इलाकों में कौअे तलाशते नजर आने लगे हैं। गौरतलब है कि श्राद्ध में ही कौओं का विशेष महत्व होता है। ऐसे में अब शहरी क्षेत्र में कौअे नहीं मिल पाने के कारण लोग उन्हें खीर खिलाने के लिए जगह-जगह भटकते हुए दिखाई देने लगे हैं।
मान्यता के अनुसार श्राद्घ में निकाले जाने वाले श्राद्धभोग में से एक भाग कौअे को अर्पित किया जाता है। इसी के चलते शहर में इन दिनों गलाताजी एवं रामनिवास बाग में कौओं को खीर-पूड़ी खिलाते नजर आ रहे हैं। मान्यता है कि कौआ अगर खीर को मुंह लगा ले तो परिवार को आपदाओं एवं संकटों से रक्षा हो पितरों की रक्षा प्राप्त होती है।