श्राद्धपक्ष में अब कौओं का भी पड़ रहा टोटा

Sradhh paksh Kauea, श्राद्धपक्ष, कौओं का टोटा, पितृों के तर्पण, Shraddh, Crows
जयपुर। पितृों के तर्पण के लिए विशेष रूप से चलने वाले श्राद्धपक्ष में एक ओर जहां श्राद्धभोज करने वाले पंडितों का अभाव है, वहीं दूसरी ओर अब शहर में कौओं का भी टोटा पड़ रहा है। गौरतलब है कि श्राद्धपक्ष के दौरान पितृों के तर्पण के लिए निकाले जाने वाले भोग के चार भागों में एक एक भाग कौओं के लिए होता है। इसलिए शहर के कई लोग कौओं तलाशते दिखाई देने लगे हैं।

राजधानी में कौअे नहीं मिलने के कारण लोग कौओं की तलाश में गलताजी जैसे कई बाहरी इलाकों में कौअे तलाशते नजर आने लगे हैं। गौरतलब है कि श्राद्ध में ही कौओं का विशेष महत्व होता है। ऐसे में अब शहरी क्षेत्र में कौअे नहीं मिल पाने के कारण लोग उन्हें खीर खिलाने के लिए जगह-जगह भटकते हुए दिखाई देने लगे हैं।

मान्यता के अनुसार श्राद्घ में निकाले जाने वाले श्राद्धभोग में से एक भाग कौअे को अर्पित किया जाता है। इसी के चलते शहर में इन दिनों गलाताजी एवं रामनिवास बाग में कौओं को खीर-पूड़ी खिलाते नजर आ रहे हैं। मान्यता है कि कौआ अगर खीर को मुंह लगा ले तो परिवार को आपदाओं एवं संकटों से रक्षा हो पितरों की रक्षा प्राप्त होती है।

जानें, आखिर क्यों है श्राद्धपक्ष में कौऐ का महत्त्व

श्राद्धपक्ष के दौरान पितृों के तर्पण के लिए किए जाने वाले धार्मिक कर्मों के तहत चार भागों में श्राद्धभोज निकाला जाता है, जिसमें एक भाग कौओं का, दूसरा कुत्ते का, तीसरा गाय का और चौथा भाग ब्राह्मण को अर्पित किया जाता है। वहीं श्राद्ध की मुख्य प्रक्रिया के तहत किए जाने वाले तर्पण में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितृों को तृप्त किया जाता है। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाकर और पिण्ड दान से पितरों को भोजन दिया जाता है तथा वस्त्रदान के माध्यम से पितरों तक वस्त्र पहुंचाया जाता है।

इस लेख पर अपने विचार व्यक्त करें...

Related Posts

Spiritual 795019050463531178
item