टाइमपास कॉमेडी की डॉज है कपिल शर्मा की 'किस किस को प्यार करूं'

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मुंबई। अभी तक छोटे परदे पर कई कॉमेडी शो में अपनी कॉमेडी की डॉज से दर्शकों को हंसाने वाले अभिनेता कॉमेडियन कपिल शर्मा अब सिल्वर स्क्रीन पर भी फिल्म 'किस किस को प्यार करूं' में दर्शकों को अपने अनोखे अंदाज में नजर आए हैं। फिल्म की खास बात ये है कि इसमें कपिल अपने अभी तक के अंदाज में ही दिखाई दिए हैं, जो दर्शकों को पसंद आता रहा है।

फिल्म 'किस किसको प्यार करूं?' देखकर ऐसा लगता है कि रोमांस या एक्शन करना कपिल के बस की बात नहीं है। वे सिर्फ कॉमेडी कर सकते हैं और उसी अंदाज में उन्होंने अभिनय किया है, जैसे वे अपने टीवी शो के दौरान करते हैं। अपने कैरेक्टर को निभाने के लिए उन्होंने अपने कम्फर्ट झोन में रहना ही उचित समझा।

पहली फिल्म के हिसाब से कपिल शर्मा का अभिनय काबिल-ए-तारीफ है, हालांकि कभी-कभी कॉमेडी नाईट्स जैसा माहौल भी बन जाता था, वहीं अपने-अपने रोल के हिसाब से सिमरन कौर मुंडी, साईं लोकर, मंजरी फडनीस, अरबाज खान ने अच्छा काम किया है। वरूण शर्मा और जेमी लीवर जब भी स्क्रीन पर आते हैं तो हंसी आ ही जाती है।

अब्बास-मस्तान ने खिलाड़ी, बाजीगर, हमराज, ऐतराज, अजनबी जैसी बेहतरीन फिल्में दी हैं वहीं कॉमेडी के नाम पर बादशाह भी बनाई थी। लेकिन अबकी बार इन डायरेक्टर्स ने मिलकर कॉमेडियन कपिल शर्मा को लेकर फिल्म बनाई है किस किस को प्यार करूं। जिसके लेखक अनुकल्प गोस्वामी हैं जो आज भी कपिल के कॉमेडी शो की स्क्रिप्ट लिखते हैं।

कहानी

फिल्म में कुमार शिव राम किशन (कपिल शर्मा) ने 3-3 शादियां की हैं और उनकी तीनों बीवियां जूही (मंजरी फडनीस), सिमरन (सिमरन कौर मुंडी) और अंजली (साईं लोकर) एक ही बिल्डिंग के अलग-अलग लोर पर रहती हैं। तीनो बीवियों को यह नहीं पता कि शिव, राम और किशन 3 अलग-अलग लोग नहीं बल्कि एक ही इंसान है जिसकी एक गर्लफ्रेंड दीपिका (एली अवराम) भी है। फिर कहानी में अलग-अलग ट्विस्ट और मोड़ आते हैं जिसमें हर पल कुमार का साथ उसका दोस्त देता है और आखिरकार एक निष्कर्ष निकलता है जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

स्क्रिप्ट

फिल्म की स्क्रिप्ट 90 के दशक जैसी लगती है जिसमें दिमाग का कम प्रयोग करके आपको बार-बार हंसाने की कोशिश की गई है। कई बार आपको फिल्म के कुछ डायलॉग्स कपिल के शो कॉमेडी नाईट्स के पंच की याद दिलाते हैं। बहुत ही सामान्य और काफी काल्पनिक कहानी है। फिल्म को रोचक बनाने की कोशिश की तो गई है और किश्तों में हंसी भी आती है। स्क्रिप्ट और भी बेहतर लिखी जा सकती थी जो इसे एक कॉमेडी शो से बेहतर बना सकती थी।

संगीत

फिल्म का संगीत ठीक है लेकिन गानों की वजह से कम से कम 3-4 बार बेवजह आपको ब्रेक लेकर बाहर पोपकॉर्न खाने का टाईम मिल सकता है। गाने कम होता तो शायद फिल्म की कहानी और रोचक दिखती।

कमजोर कड़ी

फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी अस्त व्यस्त स्क्रिप्ट है जो दुरुस्त होनी चाहिए थी. 2015 में भी अगर आपको 90 के दशक की टिपिकल कहानी परोसी जाए तो बात हजम नहीं होती।

इसलिए देखें

अगर आप कपिल शर्मा या इस फिल्म की स्टार कास्ट के दीवाने हैं तो ही इस फिल्म को देखें अन्यथा टीवी पर आने तक का इंतजार कर सकते हैं।
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