सिलिकोसीस घातक बिमारी, रोकथाम के गम्भीर प्रयास जरूरी

अजमेर। राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य डाॅ. एम.के.देवराजन ने कहा कि सिलिकोसिस एवं एस्बेस्टोसिस घातक बीमारियां हैं। पत्थर सहित विभिन्न प्रकार की खानों एवं खनिजों की फेक्ट्रियों में काम करने वालों व गृह निर्माण मजदूरों के इन बीमारियों की चपेट में आने की आशंका रहती है। इनके प्रारम्भिक लक्षण क्षय रोग (टी.बी.) की तरह है लेकिन यह क्षय रोग नहीं है।  रोग को पहचानकर सही समय पर सही उपचार करने से ही इन रोगों की रोकथाम संभव है। इसके लिए गम्भीरता से प्रयास करने होंगे।

राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य डाॅ. एम.के.देवराजन ने मंगलवार को संभागीय आयुक्त कार्यालय में सिलिकोसिस सहित आॅक्यूपेशनल डिजीज की रोकथाम संबंधी बैठक ली। उन्होंने कहा कि सिलिकोसिस एक गम्भीर बीमारी है जो लगातार खान, पत्थर की फैक्ट्री एवं गृह निर्माण आदि कार्यों में लगे मजदूरों को हो सकती है। यह ऐसी बीमारी है जिसके लक्षण शुरूआत में क्षय रोग की तरह दिखायी देते हैं। ज्यादातर मामलों में सिलिकोसिस के बजाय टी.बी का उपचार रोगी को दिया जाता है और इस कारण उसकी हालत बिगड़ती जाती है।

डाॅ. देवराजन ने कहा कि यह घातक रोग है जो मरीज के लिए जानलेवा सिद्ध हो सकता है। इसकी रोकथाम के लिए गम्भीरता से प्रयास किए जाने चाहिए। जैसे ही क्षय रोग या सिलिकोसिस का संदिग्ध मरीज चिकित्सकों के सम्पर्क में आए। सबसे पहले उससे उसके कामकाज के बारे में पूछा जाना चाहिए। अगर मरीज खान , पत्थर की फैक्ट्री, गृह निर्माण या ऐसे किसी क्षेत्रा में कार्यरत है तो विभिन्न एंगल से जांच कर यह पता लगाया जाना चाहिए की मरीज सिलिकोसिस से पीडि़त है या टी.बी. से, तभी उसका उपचार संभव हो पाएगा।

डाॅ. देवराजन ने अधिकारियों से सिलिकोसिस की रोकथाम के लिए अब तक किए गए प्रयासों की जानकारी ली। उन्होंने अजमेर में  जिला स्तरीय न्यूमोकोनोसिस कमेटी गठन पर प्रशंसा जाहिर करते हुए कहा कि संभाग के शेष तीनों जिलों में भी इसका शीघ्र गठन किया जाए।

संभागीय आयुक्त डाॅ. धर्मेन्द्र भटनागर ने कहा कि सिलिकोसिस एवं ऐसी ही अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए जरूरी है कि बीमारी के लक्षणों एवं इसके उपचार आदि का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। उन्होंने खान एवं श्रम विभाग के अधिकारियों को कहा कि अजमेर संभाग में सभी खानों, फैक्ट्रियों तथा गृह निर्माण आदि क्षेत्रों में स्पष्ट निर्देश जारी किए जाएं तथा हिन्दी में प्रचार सामग्री छपवाकर चस्पा की जाए। इन खानों एवं फैक्ट्रियों के मालिकों को भी निर्देश दिए जाएं कि ऐसी किसी भी बीमारी का लक्षण सामने आते ही संबंधित श्रमिक को तुरन्त अस्पताल तक पहुंचाने का प्रबंध करे।

जिला कलक्टर डाॅ. आरूषि मलिक ने कहा कि अजमेर जिले में सिलिकोसिस की रोकथाम के लिए व्यापक स्तर पर प्रबंध किए जा रहे हैं। विभिन्न खनन क्षेत्रों एवं फैक्ट्रियों में जांच शिविर भी लगाए जा रहे हंै। जिले में सिलिकोसिस की रोकथाम के लिए जिला स्तरीय न्यूमोकोनोसिस कमेटी भी गठित की गई है। लोगों को प्रेरित एवं जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।

बैठक में मुख्य वन संरक्षक एस.के.दुबे, जवाहर लाल नेहरू मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. के.सी. अग्रवाल, डाॅ. नीरज गुप्ता, एम.डोले, पी.के.मीना, जी.आर.वर्मा.  आर.वी.माहेश्वरी. डाॅ. पी.सी.वर्मा, डाॅ. विक्रान्त शर्मा, सी.एम.एच.ओ. डाॅ. लक्ष्मण हरचन्दानी, डाॅ. लाल थदानी, सुधीर ब्रोका सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
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