खनन का खेल : पर्यावरण स्वीकृति व एग्रीमेंट के बिना काटा करोड़ों का पत्थर
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बिजौलिया (जगदीश सोनी)। भीलवाड़ा जिले के बिजौलिया खनन क्षेत्र में चल रही अधिकांश एग्रीमेंटेड खदानों में सभी कानून-कायदों को ताक में रख कर नियम विरूद्ध खनन का खेल लम्बे अर्से से जारी है। नियम विरूद्ध खनन की सबसे बड़ी मिसाल सुखपुरा व ब्रजपुरा खनन क्षेत्र है।
सुखपुरा में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए बिना पर्यावरण स्वीकृति (इनवायरमैँट क्लीयरेंस-ईसी) के व बिना क्वारी लाइसैंस जारी किए ही खनन कार्य को अंजाम दे कर करोड़ों का पत्थर काटा जा चुका है।
जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 9 सितम्बर 2013 को दिए गए आदेश के अनुसार बिना ईसी के कोई भी खदान एग्रीमेंट नहीं की जा सकती है,लेकिन सुखपुरा खनिज बाउण्ड्री में खनिज विभाग द्वारा 9 मार्च 2014 क ो लॉटरी व निविदा(टैंडर) पद्धति से आवंटन किए गए ब्लॉकों में बिना ईसी के,बिना एग्रीमेंट करवाए व बिना पूरी निविदा राशि जमा करवाए ही खनन कार्य पिछले एक साल भर से जारी है।
यहां प्रतिदिन 10-15 लाख रू. का पत्थर काट कर खननकर्ता चांदी कूट रहे है और सम्बंधित विभाग के अधिकारी आँखें मूंदे बैठे है। सुखपुरा खनिज बाउण्ड्री में अधिकतम 1 करोड़ 81 लाख रू. निविदा राशि में आवंटन किए गए ब्लॉक संख्या 9 की सिर्फ 10 प्रतिशत धरोहर राशि ही खनिज विभाग के पास जमा हेै।
नियम के मुताबिक सम्पूर्ण राशि तय समय सीमा में जमा नहीं होने पर निविदा निरस्त की जानी चाहिए थी। लेकिन खनिज विभाग द्वारा खननकर्ताओं को नोटिस देना तो दूर सभी नियम-कायदों को ताक में रख कर लूट की खुली छूट दे रखी है। लॉटरी से व निविदा पर आवंटन किए गए अन्य ब्लॉकों में भी यही स्थिति है।
ब्रजपुरा में तो खनिज व राजस्व विभाग के साथ ही विद्युत विभाग ने भी नियम-कायदे तोडऩे की सब हदें पार कर दी है। यहां 'शम्भूनाथ स्टोन' के नाम से 25 बीघा खातेदारी भूमि में किए गए एग्रीमेण्ट में एक साथ चार-चार नियमों की अनदेखी की गई है।
खदान से हो कर 132 केवी हाईटैँशन व 11 केवी की विद्युत लाइनें गुजर रही है। समीप ही पचान पुरा बांध की नहर है, जिसे खननकर्ताओं द्वारा खुर्द-बुर्द कर दिया गया है। खदान से एकदम सट कर तिलस्वां रोड गुजर रहा है। जबकि हाईटैंशन लाइन, सड़क, नदी-नाले व नहर से से 45 मीटर की दूरी पर एग्रीमेण्ट किए जाने का नियम है।
खदान में स्थित हाईटैंशन लाइन के पोल के आसपास वषों पूर्व ही करोंड़ों रुपए का पत्थर काट कर मलबा भर दिया गया। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के चलते आज भी इस खदान में खनन कार्य बदस्तूर जारी है।
बहरहाल, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह हेै कि बिजौलिया खनन क्षेत्र में सालों से बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध व नियम विरूद्ध खनन के खिलाफ कई बार मीडिया में समाचार प्रकाशित होने, संबंधित विभाग के उच्चाधिकारियों, शासन सचिवालय व राज्य सरकार तक को शिकायतें किए जाने के बाद भी आखिर अब तक ठोस कार्रवाई अमल में क्यों नहीं लाई गई? इन हालातों से यह साफ जाहिर होता हे कि खान माफियाओं के आगे शासन और प्रशासन दोनो नतमस्तक है।
इनका कहना है
"सहायक खनिज अभियंता (एएमई) को जांच के आदेश दिए हैं। मौके पर ऐसी स्थिति पाई जाती है तो खननकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वर्तमान में बारिश का पानी भर जाने से खनन कार्य बंद है।" -गोपाल बच्छ, खनिज अभियंता, बिजौलिया।
"विद्युत लाइन से 45 मी. पर खदान एग्रीमेण्ट का नियत सिर्फ 132 केवी लाइनों के लिए ही है। 11 केवी लाइनों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है।" -शिव प्रसाद नागर, सहायक अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम।
सुखपुरा में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए बिना पर्यावरण स्वीकृति (इनवायरमैँट क्लीयरेंस-ईसी) के व बिना क्वारी लाइसैंस जारी किए ही खनन कार्य को अंजाम दे कर करोड़ों का पत्थर काटा जा चुका है।
जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 9 सितम्बर 2013 को दिए गए आदेश के अनुसार बिना ईसी के कोई भी खदान एग्रीमेंट नहीं की जा सकती है,लेकिन सुखपुरा खनिज बाउण्ड्री में खनिज विभाग द्वारा 9 मार्च 2014 क ो लॉटरी व निविदा(टैंडर) पद्धति से आवंटन किए गए ब्लॉकों में बिना ईसी के,बिना एग्रीमेंट करवाए व बिना पूरी निविदा राशि जमा करवाए ही खनन कार्य पिछले एक साल भर से जारी है।
यहां प्रतिदिन 10-15 लाख रू. का पत्थर काट कर खननकर्ता चांदी कूट रहे है और सम्बंधित विभाग के अधिकारी आँखें मूंदे बैठे है। सुखपुरा खनिज बाउण्ड्री में अधिकतम 1 करोड़ 81 लाख रू. निविदा राशि में आवंटन किए गए ब्लॉक संख्या 9 की सिर्फ 10 प्रतिशत धरोहर राशि ही खनिज विभाग के पास जमा हेै।
नियम के मुताबिक सम्पूर्ण राशि तय समय सीमा में जमा नहीं होने पर निविदा निरस्त की जानी चाहिए थी। लेकिन खनिज विभाग द्वारा खननकर्ताओं को नोटिस देना तो दूर सभी नियम-कायदों को ताक में रख कर लूट की खुली छूट दे रखी है। लॉटरी से व निविदा पर आवंटन किए गए अन्य ब्लॉकों में भी यही स्थिति है।
ब्रजपुरा में तो खनिज व राजस्व विभाग के साथ ही विद्युत विभाग ने भी नियम-कायदे तोडऩे की सब हदें पार कर दी है। यहां 'शम्भूनाथ स्टोन' के नाम से 25 बीघा खातेदारी भूमि में किए गए एग्रीमेण्ट में एक साथ चार-चार नियमों की अनदेखी की गई है।
खदान से हो कर 132 केवी हाईटैँशन व 11 केवी की विद्युत लाइनें गुजर रही है। समीप ही पचान पुरा बांध की नहर है, जिसे खननकर्ताओं द्वारा खुर्द-बुर्द कर दिया गया है। खदान से एकदम सट कर तिलस्वां रोड गुजर रहा है। जबकि हाईटैंशन लाइन, सड़क, नदी-नाले व नहर से से 45 मीटर की दूरी पर एग्रीमेण्ट किए जाने का नियम है।
खदान में स्थित हाईटैंशन लाइन के पोल के आसपास वषों पूर्व ही करोंड़ों रुपए का पत्थर काट कर मलबा भर दिया गया। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के चलते आज भी इस खदान में खनन कार्य बदस्तूर जारी है।
बहरहाल, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह हेै कि बिजौलिया खनन क्षेत्र में सालों से बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध व नियम विरूद्ध खनन के खिलाफ कई बार मीडिया में समाचार प्रकाशित होने, संबंधित विभाग के उच्चाधिकारियों, शासन सचिवालय व राज्य सरकार तक को शिकायतें किए जाने के बाद भी आखिर अब तक ठोस कार्रवाई अमल में क्यों नहीं लाई गई? इन हालातों से यह साफ जाहिर होता हे कि खान माफियाओं के आगे शासन और प्रशासन दोनो नतमस्तक है।
इनका कहना है
"सहायक खनिज अभियंता (एएमई) को जांच के आदेश दिए हैं। मौके पर ऐसी स्थिति पाई जाती है तो खननकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वर्तमान में बारिश का पानी भर जाने से खनन कार्य बंद है।" -गोपाल बच्छ, खनिज अभियंता, बिजौलिया।
"विद्युत लाइन से 45 मी. पर खदान एग्रीमेण्ट का नियत सिर्फ 132 केवी लाइनों के लिए ही है। 11 केवी लाइनों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है।" -शिव प्रसाद नागर, सहायक अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम।