भूमि अधिग्रहण बिल:संसद में आज भी हंगामे के आसार
नई दिल्ली। जमीन अधिग्रहण के नए विधेयक को लेकर संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में आज भी हंगामे के आसार हैं। मंगलवार को इस बिल के ...
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नई दिल्ली। जमीन अधिग्रहण के नए विधेयक को लेकर संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में आज भी हंगामे के आसार हैं। मंगलवार को इस बिल के विरोध में कांग्रेसए जेडीयूए टीएमसी समेत अन्य विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला और जमकर हंगामा किया। कांग्रेस ने ऎलान किया है कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर उसका विरोध जारी रहेगा और इस पर कतई कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
कांग्रेस ने साथ ही कहा कि इस संबंध में संप्रग सरकार के शासनकाल में लाए गए अधिनियम को बहाल करने और नए अध्यादेश के प्रावधानों को वापस लिए जाने के लिए वह और मेहनत करेगी।
अब भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर राजग सरकार के भीतर से ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं जहां उसकी महत्वपूर्ण सहयोगी शिवसेना ने मौजूदा स्वरूप में विधेयक का विरोध किया है। हालांकि सरकार ने संकेत दिए हैं कि किसानों की चिंताओं पर गौर करते हुए विधेयक में संशोधन किए जा सकते हैं। कृषि मंत्री बीरेन्द्र सिंह द्वारा लोकसभा में मंगलवार को लगभग समूचे विपक्ष के वाकआउट के बीच भूमि अधिग्रहण विधेयक को पेश किए जाने के साथ ही सरकार के भीतर और बाहर गहन विचार विमर्श की प्रक्रिया दिनभर जारी रही। इस विधेयक को लेकर राजधानी में दिनभर घटनाएं आकार लेती रहीं जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधेयक के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के आंदोलन में शिरकत की।
किसानों का कहना है कि विधेयक में परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण करने से पूर्व 70 फीसदी जमीन मालिकों की सहमति का प्रावधान होना चाहिए और साथ ही इसके सामाजिक प्रभाव के आकलन को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कई मंत्रियों ने इस बात के पर्याप्त संकेत दिए कि किसानों की चिंताओं का संज्ञान लेने के लिए कार्रवाई की जा रही है और विधेयक में बदलाव किए जा सकते हैं। भाजपा संसदीय दल की बैठक में मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया कि कानून पर कदम पीछे नहीं खींचे जाएंगे लेकिन सरकार किसानों के हितों में सुझावों पर गौर करने को तैयार है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने राज्यसभा को बताया कि सरकार कोई रास्ता निकालने के लिए सभी पक्षों से विचार विमर्श की इच्छुक है।
उधर गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने वाले किसानों के प्रतिनिधियों ने दावा किया कि सरकार ने कानून बनाते समय उनकी चिंताओं को ध्यान में रखने का आश्वासन दिया है। लेकिन भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी और लोकसभा में 18 सांसदों के साथ राजग की दूसरी सबसे बडी पार्टी शिवसेना सार्वजनिक रूप से नए विधेयक के विरोध में उतर आई। उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना किसानों का गला दबाने का ष्पापष् नहीं कर सकती। उन्होंने साथ ही भाजपा से कहा कि ये किसान ही थे जो उसे सत्ता में लेकर आए हैं।
कांग्रेस ने साथ ही कहा कि इस संबंध में संप्रग सरकार के शासनकाल में लाए गए अधिनियम को बहाल करने और नए अध्यादेश के प्रावधानों को वापस लिए जाने के लिए वह और मेहनत करेगी।
अब भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर राजग सरकार के भीतर से ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं जहां उसकी महत्वपूर्ण सहयोगी शिवसेना ने मौजूदा स्वरूप में विधेयक का विरोध किया है। हालांकि सरकार ने संकेत दिए हैं कि किसानों की चिंताओं पर गौर करते हुए विधेयक में संशोधन किए जा सकते हैं। कृषि मंत्री बीरेन्द्र सिंह द्वारा लोकसभा में मंगलवार को लगभग समूचे विपक्ष के वाकआउट के बीच भूमि अधिग्रहण विधेयक को पेश किए जाने के साथ ही सरकार के भीतर और बाहर गहन विचार विमर्श की प्रक्रिया दिनभर जारी रही। इस विधेयक को लेकर राजधानी में दिनभर घटनाएं आकार लेती रहीं जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधेयक के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के आंदोलन में शिरकत की।
किसानों का कहना है कि विधेयक में परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण करने से पूर्व 70 फीसदी जमीन मालिकों की सहमति का प्रावधान होना चाहिए और साथ ही इसके सामाजिक प्रभाव के आकलन को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कई मंत्रियों ने इस बात के पर्याप्त संकेत दिए कि किसानों की चिंताओं का संज्ञान लेने के लिए कार्रवाई की जा रही है और विधेयक में बदलाव किए जा सकते हैं। भाजपा संसदीय दल की बैठक में मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया कि कानून पर कदम पीछे नहीं खींचे जाएंगे लेकिन सरकार किसानों के हितों में सुझावों पर गौर करने को तैयार है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने राज्यसभा को बताया कि सरकार कोई रास्ता निकालने के लिए सभी पक्षों से विचार विमर्श की इच्छुक है।
उधर गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने वाले किसानों के प्रतिनिधियों ने दावा किया कि सरकार ने कानून बनाते समय उनकी चिंताओं को ध्यान में रखने का आश्वासन दिया है। लेकिन भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी और लोकसभा में 18 सांसदों के साथ राजग की दूसरी सबसे बडी पार्टी शिवसेना सार्वजनिक रूप से नए विधेयक के विरोध में उतर आई। उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना किसानों का गला दबाने का ष्पापष् नहीं कर सकती। उन्होंने साथ ही भाजपा से कहा कि ये किसान ही थे जो उसे सत्ता में लेकर आए हैं।