16 दिसंबर : राजधानी दिल्ली का वह काला दिन
नई दिल्ली। बीते साल पूरे भारत को दहला देने वाले 16 दिसंबर को हुए निर्मम सामूहिक बलात्कार की शिकार पीड़िता के पिता का कहना है कि हमारे आं...
पीड़िता के 48 वर्षीय पिता ने आंसुओं से भरी आंखों के साथ बताया कि हम कभी इससे उबर नहीं पाएंगे और वह हमारे बीच अभी भी जीवित है। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी जब भी कुछ पकाती है तो वह अपनी बेटी को याद करती है। भरी हुई आवाज से उन्होंने कहा कि जब भी हम खाना खाने बैठते हैं, मेरी पत्नी कहती है, ‘यह उसका पसंदीदा खाना है और हम उसके बिना ही इसे खा रहे हैं। उसे अच्छा खाना बहुत पसंद था।'
मेरी पत्नी याद करती है कि आखिरी बार हमारी बेटी ने यह कहकर घर छोड़ा था कि वह 3 -4 घंटों में वापस आ जाएगी। लेकिन हमारा वह इंतजार कभी खत्म नहीं हुआ, क्योंकि घंटे महीनों में बदल गए और महीने सालों में। आंसुओं को रोकने की कोशिश करते हुए पीड़िता के पिता ने कहा कि उन्होंने कड़ी सजा से बच निकले किशोर आरोपी के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की है और उनकी असल लड़ाई तो अब शुरू हुई है।
उन्होंने कहा कि हमें अभी तक न्याय नहीं मिला है। हम चाहते हैं कि घटना के समय किशोर रहे उस दोषी समेत सभी दोषियों को फांसी पर लटकाया जाए, तभी शायद हमारे दिमागों को थोड़ी शांति मिलेगी और हम शांति से सो सकेंगे। पति की इस बात पर निर्भया की मां ने भी सहमति जताई।
क्या हुआ था 16 दिसंबर 2012 को :
मेडिकल स्टूडेंट निर्भया (बदला हुआ नाम) रात नौ बजे अपने दोस्त के साथ दिल्ली के साकेत मॉल में फिल्म देखकर घर रवाना हुई। दोनों ऑटो से मुनिरका पहुंचे। यहां वे एक चार्टर्ड बस में चढ़े।बस में ड्राइवर सहित छह पुरुष थे। सभी नशे में थे। इन्होंने दोनों के साथ अभद्रता की। दोस्त के आपत्ति जताने पर उसे सरिए से मारा जिससे वह बेहोश हो गया। इन लोगों ने लड़की से जघन्य तरीके से बलात्कार किया और फिर 40 मिनट तक उसे मारते पीटते रहे। एक रेपिस्ट ने लड़की के गुप्तांगों में सरिए की रॉड घुसा दी जिससे उसकी आंते बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।
अपना जुर्म छिपाने के लिए उन्होंने लड़की और उसके साथ मौजूद उसके दोस्त को बेरहमी से मारा-पीटा और निर्वस्त्र कर चलती बस से महिपालपुर के पास फेंक दिया गया। राहगीरों ने दोनों को देखा और पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया।