अफजल की फांसी के बाद जम्मू में छपी किताब पर बवाल
श्रीनगर। संसद पर हमले के मामले में दोषी मोहम्मद अफजल गुरु को फांसी की सजा दिए जाने के सात महीने बाद उसकी एक किताब आई है, जिसने तहलका मचा द...
https://khabarrn1.blogspot.com/2013/09/uproar-in-jammu-on-a-book-published-after-hang-to-afazal-guru.html
श्रीनगर। संसद पर हमले के मामले में दोषी मोहम्मद अफजल गुरु को फांसी की सजा दिए जाने के सात महीने बाद उसकी एक किताब आई है, जिसने तहलका मचा दिया है।
अफजल के खतों पर आधारित 'अहले इमान के नाम शहीद मोहम्मद अफजल गुरू का आखिरी पैगाम' शीर्षक से प्रकाशित इस किताब की 5 हजार कॉपी छापी और प्रसारित की गई हैं।
इस किताब का प्रकाशन भी जम्मू-कश्मीर के प्रमुख अलगाववादी संगठन नेशनल फ्रंट ने कराया है। 94 पृष्ठों के किताब में अफजल गुरु द्वारा जेल से लिखे गए खतों के अलावा कश्मीर में जारी अलगाववादी आंदोलन के प्रति उसके नजरिए को शामिल किया गया है।
उर्दू में प्रकाशित इस किताब के पेज 43 पर अफजल गुरु ने कश्मीर में गांधी दर्शन का विरोध करते हुए कहा है कि यह कश्मीरियों के लिए कोई मायने नहीं रखता है। श्रीनगर के एक प्रतिष्ठित होटल में आयोजित इस किताब के विमोचन समारोह में नेशनल फ्रंट के चेयरमैन नईम अहमद खान के अलावा वरिष्ठ हुरिर्यत नेता शब्बीर अहमद शाह, अफजल गुरु के भाई एजाज गुरु के अलावा वादी के कई प्रमुख अलगाववादी और बुद्धिजीवी शामिल हुए।
इस दौरान तिहाड़ में अफजल गुरु के साथ समय बिता चुके मुसैब व तौफीक नामक दो युवक भी थे। उन्होंने भी कश्मीर में अलगाववाद को लेकर गुरु के बयानों का जिक्र किया। दो घंटे तक चले इस समारोह में वर्ष 2008 और 2010 में कश्मीर में हुए हिसंक प्रदर्शनों की वीडियो क्लिपिंग और अफजल के परिवार पर आधारित एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म भी दिखाई गई।
अफजल के खतों पर आधारित 'अहले इमान के नाम शहीद मोहम्मद अफजल गुरू का आखिरी पैगाम' शीर्षक से प्रकाशित इस किताब की 5 हजार कॉपी छापी और प्रसारित की गई हैं।
इस किताब का प्रकाशन भी जम्मू-कश्मीर के प्रमुख अलगाववादी संगठन नेशनल फ्रंट ने कराया है। 94 पृष्ठों के किताब में अफजल गुरु द्वारा जेल से लिखे गए खतों के अलावा कश्मीर में जारी अलगाववादी आंदोलन के प्रति उसके नजरिए को शामिल किया गया है।
उर्दू में प्रकाशित इस किताब के पेज 43 पर अफजल गुरु ने कश्मीर में गांधी दर्शन का विरोध करते हुए कहा है कि यह कश्मीरियों के लिए कोई मायने नहीं रखता है। श्रीनगर के एक प्रतिष्ठित होटल में आयोजित इस किताब के विमोचन समारोह में नेशनल फ्रंट के चेयरमैन नईम अहमद खान के अलावा वरिष्ठ हुरिर्यत नेता शब्बीर अहमद शाह, अफजल गुरु के भाई एजाज गुरु के अलावा वादी के कई प्रमुख अलगाववादी और बुद्धिजीवी शामिल हुए।
इस दौरान तिहाड़ में अफजल गुरु के साथ समय बिता चुके मुसैब व तौफीक नामक दो युवक भी थे। उन्होंने भी कश्मीर में अलगाववाद को लेकर गुरु के बयानों का जिक्र किया। दो घंटे तक चले इस समारोह में वर्ष 2008 और 2010 में कश्मीर में हुए हिसंक प्रदर्शनों की वीडियो क्लिपिंग और अफजल के परिवार पर आधारित एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म भी दिखाई गई।